क्या करोगी तुम मेरे जनाज़े में आ कर,
न रोना तुम कभी भी यूं छुप छुपा कर।
रख लेना दिल में दफन ये राज़ तुम भी,
हम भी रखतें थे चांद पहलू में छुपा कर।
यूं तो खामोश ही रह जाती, जुबां मेरी भी,
खोल दिया राज खामोशियों ने सुना कर।
क्या पता था दुनिया यह इल्म भी रखती है,
ढूंढ लेगी वो ख़त तुमने जो रखें थे छुपा कर।
क्यों इतना गुमान था तुझे, इश्क पर आवारा,
खुल ही गया वो राज़, जो रखा था दबा कर।