रास्ता सीधा नहीं होता धरती के अनुरूप वह,करवट लेता रहता है कभी बायें की ओर,कभी दायें की ओर सीधा चलनेवाले को,टक्कर लेना पड़ता है कहीं पत्थरों से,कहीं कांटों से सरल नहीं होता है उसे उतार-चढ़ावों को पारकर अपने रास्ते से… Read More

रास्ता सीधा नहीं होता धरती के अनुरूप वह,करवट लेता रहता है कभी बायें की ओर,कभी दायें की ओर सीधा चलनेवाले को,टक्कर लेना पड़ता है कहीं पत्थरों से,कहीं कांटों से सरल नहीं होता है उसे उतार-चढ़ावों को पारकर अपने रास्ते से… Read More
जंतुओं से इतना डर नहीं होता इस दुनिया में जितना उन मनुष्यों से और अपनों से होता है, जो पीछे से, चुपके से मीठी – मीठी बातों से, चोट दिल को आसानी से देते हैं, कठिन है अपनों से लड़ना… Read More
सुख भोग से मदमस्त सोता नहीं हूँ मैं, सोता हूँ कल – कल की धार हूँ कूड़ा – कचरा नहीं जिंदगी का कचर – पचर हूँ वैज्ञानिक पथ में कदम हूँ मैं यात्री हूँ अंतरंग में रग – रेशों में… Read More
होते हैं रास्ते विचारों में अनेक टेढ़े – मेढ़े, सीधे – साधे मिट्ठी, कंकड़ – पत्थर के हैं कहीं – कहीं काँटे भी होते। चुनना होगा हमें ही बुद्धि से उचित पथ कौनसा है हमारा निकालना पड़ता है रास्ते से… Read More
अलग है मेरी भाषा तुम्हारी भाषा से, अलग है दुनिया में मनुष्यों की भाषा कई रूप हैं भाषा के, पुस्तक की भाषा बोलचाल की भाषा, श्रम की भाषा मूक-गूँगे की भाषा, शरीर की भाषा माँ की भाषा, परिवार की भाषा… Read More
हर जगह कई लोग चुपके – चुपके चलते हैं अपना मुँह छिपाते वो धीरे – धीरे चलते हैं वर्ण-जाति-वर्ग की निशा में एक दूसरे को कुचलाते भेद – विभेद, अहं की आड़ में असमर्थ बन बैठे हैं मनुष्य एक दूसरे… Read More
जीते-जागते निकल जाता हूँ द्वन्द्व के दुर्गम मार्ग को, युद्ध होता है विचारों के विशाल अवनि पर जीत है, हार है स्वीकार है, तिरस्कार है निंदा-स्तुति है, मान-अपमान है मानव के इस जग में, अंतरंग के संगम क्षेत्र में समेटकर… Read More
विश्व चेतना के बीज हे मनुष्य ! अंकुरित होने दो तुम्हारे निर्मल चित्त में लहलहाती फ़सलों की सरसराने दो, स्वेच्छा वायु से बचाते रहो अपनी रौनक को मूढ़ विचारों से, बौद्धिक चेतना का हरियाली तुम बनो अनवरत साधना में सत्य… Read More
जी नहीं सकता मैं अकेला जी नहीं सकते तुम अकेले जी नहीं सकता कोई अकेले इस मानव जग में चलना है .. चलना है… मिलजुलते – प्यार करते एक दूसरे से और मानते एक दूसरे को सहयोग अदा करते परस्पर… Read More
हंसनेवालों को हंसने दो यह नयी बात तो नहीं अपने रास्ते पर चलनेवालों को मैं फिसलता हूँ, गिरता हूँ लड़खड़ाता हूँ तो क्या विचारों की दुनिया में एक स्वतंत्रता है, अंतर्वस्तु है मेरी सामाजिक चिंतन में समर्पित हूँ अपना कुछ… Read More