vichar

रास्ता सीधा नहीं होता
धरती के अनुरूप वह,करवट लेता रहता है
कभी बायें की ओर,कभी दायें की ओर
सीधा चलनेवाले को,टक्कर लेना पड़ता है

कहीं पत्थरों से,कहीं कांटों से
सरल नहीं होता है उसे
उतार-चढ़ावों को पारकर
अपने रास्ते से निकल जाना

पर्वत होते हैं,नदियाँ होती हैं
सामान्य जनता रूक जाते हैं
किसी न किसी मोड़ पर
किसी न किसी छोर पर

जो वीर, योद्धा होते हैं
चलते हैं, दौड़ते हैं
सबको पारकर विजेता होते हैं वे
जिस जगह से शुरू करते हैं

फिर वहीं आकर रूक जाते हैं
वे साबित करते हैं कि
यह धरती गोला है
जो आकाश की ओर बढ़ते हैं वे

अनंत की अनुभूति लेते हैं,
अपनी शक्ति से बाहर है इंसान का
जग के सार को जाहिर करना
जीव, जगत, जीवन के

रहस्य को विच्छेद करना
अपने -अपने विचार के अनुरूप
चलते हैं मनुष्य, जग में,
जो अशक्त हैं, विचारों में

स्वयं चल नहीं पाते हैं वे
बैसाखियों के सहारे चलते हैं
दूसरे की करतूत को अपने पल्ले में लेते हैं
काल की कठोरता में, एक दिन

सब लोग एक साथ चलेंगे
सबका विचार एक होगा
समता की अखंड वेदी पर
मनुष्य होने की अनुभूति सबको होगी

सब मनुष्य एक हैं
सभी धर्म एक हैं
जिंदगी सबका सहयोग है
दुनिया में न लूटी, न चोरी होगी,

न धन – संपत्ति का मोह होगा
किसी बात का न कोई छिपाएगा
दीवार सभी तोडें जाँगे
खुले छत की साँस सबकी होगी।

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