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कविता : नमन तुम्हें है इसरोजन

देश गर्व से देख रहा है, आज चमकते चांद की ओर । दुनिया में अपना नाम बना हैं , छूकर इसका तलीय छोर। भारत की इस जय में बोलें, जय जय तेरी हो विज्ञान । इसरो ने कुछ किया है… Read More

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कविता : खुल जाएँ दरवाजे सभी

कठिन होता है समझना इस दुनिया को, हर जीव को, कभी असली से ज्यादा नकली बेहद अपनी दर्जा दिखाती है कपोल – कल्पित कई बातें मीठी – मीठी लगती हैं जग में अनुभव के बल पर होता है असलीयत का… Read More

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कविता : मनुष्यों की दुनिया में

खाना पहले उनको दो जो सड़कों में, गलियों में भीख माँगते नज़र आते हैं असहाय अवस्था को पारकर आगे बढ़ने में असफल हैं पराजित हैं वे अपने जीवन में आघात हुई है उनके मन पर देह की सुधा भी खो… Read More

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पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्मृति समारोह

पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्मृति समारोह सम्पन्न साहित्य अकादमी भोपाल का आयोजन पंडित दीनदयाल जी राष्ट्र ऋषि तुल्य हैं। – उत्तम बैनर्जी पंडित जी का एकात्म मानववाद को पुनः समझने और पालन करने की आवश्यकता – डॉ. विकास दवे सतना ,… Read More

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कविता : कुछ बातें

कुछ बातें दिल में रही जब तक, कश्ती साहिल पर रही तब तक, जूझता रहा अंतर्मन में, शब्दों की कमी रही जब तक। आँखों से कुछ कहता कैसे, बिन बोले भी रहता कैसे, सागर जितनी मेरी बातें, ख़त में सबकुछ… Read More

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कविता : धर्म कर्म का महीना

लगा है सावन का महीना विचारो में आस्था जगी है। धर्म की ज्योति भी देखो दिलों में जल उठी है। तभी तो सावन में देखो मंदिरो में भीड़ लगी है। और प्रभु दर्शन पाने की सभी में होड़ लगी है।।… Read More

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कविता : रुको मत..पढ़ाई जारी रखो

पसंद नहीं है उन्हें, सहनते नहीं हैं वे दलितों का अच्छे कपड़े पहनना और चेस्मा लगाना, उनके जैसे अस्मिता का जीवन बिताना, गुलाम समझते हैं दलितों को हीन, नीच, अधम समझते हैं वे पुरखों से प्राप्त मूर्ख सांप्रदाय गौरव की… Read More