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पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्मृति समारोह सम्पन्न

साहित्य अकादमी भोपाल का आयोजन

पंडित दीनदयाल जी राष्ट्र ऋषि तुल्य हैं। – उत्तम बैनर्जी

पंडित जी का एकात्म मानववाद को पुनः समझने और पालन करने की आवश्यकता – डॉ. विकास दवे

सतना , साहित्य अकादमी, मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद्, मध्यप्रदेश शासन संस्कृति विभाग भोपाल तत्वावधान में पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्मृति साहित्य समारोह व्याख्यान एवं रचनापाठ दिनांक 13 जुलाई, 2023 को सायं 6 बजे से काली बाड़ी मंदिर सभागार, बरदाडीह चौक, मुख्त्यारगंज सतना (म.प्र.) में आयोजित किया गया।
प्रथम सत्र में कार्यक्रम की अध्यक्ष‌ की आसंदी में राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित इतिहासवेत्ता, व्याकरणाचार्य और साहित्यकार डा सुदुम्नाचार्य सतना ने किया। मुख्य वक्ता की आसंदी में सतना वरिष्ठ समाजसेवी विचारक उत्तम बैनर्जी रहे। साहित्य अकादमी भोपाल के निदेशक डा विकास दवे का सान्निध्य मंच को प्राप्त हुआ।
समारोह का आरंभ माँ सरस्वती की प्रतिमा में दीप्प्रज्जवल और माल्यार्पण अतिथियों के द्वारा किया गय। सरस्वती वंदना का सस्वर पाठ आकाश कुशवाहा ने किया। इसके पश्चात सभी अतिथियों का स्वागत पुष्पगुच्छ और बैच लगा कर किया गया।
समारोह में सभी आगंतुकों का स्वागत और प्रस्तावना अकादमी के निदेशक डॉ विकास दवे के रखते हुए कहा कि साहित्य अकादमी विभिन्न क्षेत्रों में स्मृति प्रसंगों के माध्यम से भारतीय इतिहास मनीषा के व्यक्तित्वों को याद करने की परंपरा स्थापित की। पंडित दीनदयाल जी के स्मृति प्रसंग को हमने इसलिए चुना क्योंकि सतना में इतिहास को परखने वालों की लम्बी श्रंखला मौजूद है। पंडित जी का एकात्म मानववाद को पुनः समझने और पालन करने की आवश्यकता है।पिछले वर्षों में भारतीय संस्कृति संस्कार को नकारने की जो परंपरा आगे बढ़ी उसके प्रत्युत्तर में साहित्यकार को समझना होगा कि इस देश की संस्कृति को लेखन में समेंटने का कार्य साहित्य करता है।
मुख्य वक्ता उत्तम बैनर्जी ने कहा कि सतना की पावन धरती को भगवान राम ने वनवास के अधिक्तम समय के लिए चुना, यहीं पर नाना जी देशमुख ने ग्रामीण जीवन जीने वाले ग्रामीणों को विकसित करने के उद्देश्य से पंडित दीनदयाल शोध संस्थान की स्थापना भी की। ताकि शोध को आचार विचार में शामिल किया जा सके। उन्होने पंडित दीनदयाल जी के विचारों को साकार रूप दिया। पंडित दीनदयाल जी राष्ट्र ऋषि तुल्य हैं। दीनदयाल जी ने वैचारिक रूप से जिस पृष्ठभूमि का निर्माण किया उसमें बाबा साहब देवरस और भाऊरामदेवरस जी अवदान भी याद किया जाना जरूरीहै। दीनदयाल जी ने स्वतंत्रता के बाद के भारत के लिये सोचा। उन्होने देश के लिए मरने की बजाय देश के लिए जीने की सोच को भारतीयों में विकसित की। उन्होने भारतीय मनीषा, संस्कृति, संस्कार को संरक्षित करने के लिए संगठन बनाने, और संगठन से मानव शक्ति को जोड़ने का काम किया। उन्होने पांचजन्य, राष्ट्रधर्म, स्वदेश जैसी पत्रिकाओं को मजबूत करने में नींव के पत्थर का काम किया। एकात्ममानव वाद अखंड मंडलाकार मानव विकास की व्यवस्था है। एक ब्रह्म चिन्तन है।
अध्यक्षता कर रहे डॉ. सुदुम्नाचार्य ने कहा कि पंडित दीनदयाल जी का वैचारिक चिंतन व्यापक था।वो आज के समय में महत्वपूर्ण स्थान रखता है, आज के समय में भारत ही नहीं बल्कि विश्व के विचारक इस दर्शन को जन जन तक पहुँचाना चाहते हैं।
अगले सत्र में निबंध प्रतियोगिता के प्रतिभागी विद्यालय दिल्ली पब्लिक स्कूल सतना, सरस्वती विद्यालय कालीबाड़ी,सतना, व्यंकट क्रमांक एक उत्कृष्ट विद्यालय और महाराणा प्रताप विद्यालय नागौद के विद्यार्थियों को प्रमाण पत्र और उपहार अथितियों प्रदान किया।मैहर से पाठक मंच संयोजक शिवम चौरसिया, रामपुर बाघेलान के संयोजक विष्णुधर भट्ट, वरिष्ठ साहित्यकार छॊटेलाल पांडेय, गंगाप्रसाद शुक्ल सुरसरि जी का सम्मान किया गया।अगले क्रम में आए हुए अतिथि वक्ताओं का स्मृतिचिन्ह और शाल देकर सम्मानित किया। पाठक मंच सतना ने डॉ. विकास दवे जी का शाल श्रीफल स्मृति चिन्ह देकर सम्मान किया।
अगले सत्र में रचनापाठ आयोजित हुआ। श्री शिवकिशोर तिवारी, हैदरगढ़, डा सुरेश सौरभ पन्ना, सत्येन्द्र सेंगर रीवा, श्रीमती सरोज सिंह नागौद, अरुण कुमार पयासी देवराज नगर, दीपा गौतम सतना, तामेश्वर शुक्ल तारक,कुनाल बरकडे़ सतना अपनी-अपनी रचनाओं का पाठ किया। इसका संचालन डा सुरेश सौरभ पन्ना करेंगे। प्रमुख संचालन और आभार स्थानीय संयोजक अनिल अयान ने व्यक्त किया।

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