न हम बदले न वो बदले, फिर क्यों बदल रहे इंसान। कल तक जो अपने थे, सब की आंखों में बसते थे। पर अब तो वो सिर्फ, सपनो जैसे देखते है। न हम न वो आये जाएं, अब एक दूसरे… Read More

न हम बदले न वो बदले, फिर क्यों बदल रहे इंसान। कल तक जो अपने थे, सब की आंखों में बसते थे। पर अब तो वो सिर्फ, सपनो जैसे देखते है। न हम न वो आये जाएं, अब एक दूसरे… Read More
गुरुदत्त हिंदी सिनेमा के सबसे संवेदनशील निर्देशकों में शामिल हैं। गुरुदत्त बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। वे फिल्म निर्माण के अधिकतर क्षेत्रों में अपना दखल रखते थे। मुझे उनकी टक्कर का एक ही शख्स लगता है वो हैं राजकपूर। खैर… Read More
संजीव कुमार हिंदी फिल्मों के सबसे उत्कृष्ट कलाकारों में से एक हैं। उनकी सबसे बड़ी खासियत यह थी कि वे एफर्टलेस एक्टिंग (सहज अभिनय) करते थे। यही बात उन्हें अन्य कलाकारों से जुदा करती है। उनकी दूसरी खासियत ये थी… Read More
मिश्री जैसी मधुर है हमारी बोली हम प्रेमी पान मखान और आम के भगवती भी जहाँ अवतरित हुईं हम वासी हैं उस मिथिला धाम के संतानों को जगाने मिथिला की माएँ सूर्योदय से पूर्व गाती हैं प्रभाती सुनाकर कहानियाँ ज्ञानवर्धक… Read More
तेरी यादों को अब तक, दिल से लगाये बैठा हूँ। सपनो की दुनियां में, अभी तक डूबा हुआ हूँ। दिलको यकीन नही होता, की तुम गैर की हो चुकी हो। और हकीकत की दुनियां से, बहुत दूर निकल गई हो।।… Read More
आँखे झूठी, बातें झूठी, चेहरा सारा झूठा है, बाहर अंदर सारा झूठा, ईमां ही तेरा झूठा है । इस चेहरे के उपर न जाने, और भी कितनी कालिमाई है, कपट की लहरें तेरे भीतर, ना जाने कितनी गहराई हैं ।… Read More
सोने ने पुछा एक दिन लोहे से, तू चोट लगने पर इतना चिल्लाता क्यूं है? जबकि सुनार मुझे भी तो, हतौडे से ही चोट मारता है । इतना सुनना था कि लोहे का मुख मलीन हो गया, मामला अत्यंत संगीन… Read More
छोड़ दिया मेरा साथ, मुझे संसार में भेजकर। नये दिये माँ बाप, मुझे इस संसार में..।। खूब दिया स्नेह प्यार, मेरे पालन हारो ने। क्या कुछ नहीं किया, मुझे इंसान बनाने में। अपनी रो की इच्छाएं, मेरी इच्छाओं की खातिर।… Read More
फिल्म निर्देशक अनुभव सिन्हा ने एक बार फिर महत्वपूर्ण व सामयिक मुद्दे पर गंभीर व संवेदनशील फिल्म बनाई है। उत्तर प्रदेश के बैकड्राप पर दलितों के प्रति भेदभाव के मुद्दे को इसमें अच्छे ढंग से दिखाया गया है। हमारी हिन्दी… Read More