क्षमा मिश्रा नाम था उसका। लेकिन मोहल्ले के सारे लड़के उसे छमिया कह कर पुकारते थे। महज़ अठारह बरस की उम्र में मोहल्ले में हुई अठाईस झगड़ों का कारण बन चुकी थी वो। उसका कोई भी आशिक़ चार महीने से… Read More
लघुकथा : मज़दूर
कामिनी देवी जब कभी भी अपने राइस मिल पर जाती थीं, माधो से ज़रूर मिलती थीं। माधो उनकी राइस मिल में कोई बड़ा कर्मचारी नहीं, बल्कि एक मज़दूर था। राइस मिल में काम करने वाले सभी लोगों का मानना था… Read More
कहानी : रोटियां
अस्पताल में पहुंचते ही मोहन एक हाथ से गले में पड़े गमझे को निकल कर मुँह पोछता है, लेकिन अपने 10 माह के बेटे माधव को नीचे उतारे बिना ही नर्स से बड़ी ही जल्दबाजी में पूछता है “मैडम डाक्टर… Read More
लघु कथा : बेइंतहा प्यार
डीएम ऑफिस से आने के बाद से ही दीपमाला बहुत दुखी और परेशान थी। वह आईने के सामने खड़ी होकर अपने ढलते यौवन और मुरझाए सौंदर्य को देखकर बेतहाशा रोए जा रही थी। ऐसा लग रहा था मानो वह आईने… Read More
लघु कथा : चीख
रेशमा, कुदसिया दोनों के लिए आज का दिन भी हमेशा जैसा ख़ुशगवार था। सूरज में सुर्ती थोड़ी कम थी इन दिनों। रेशमा की शादी की तैयारियाँ चल रही थी। इसी सिलसिले में रेशमा अपनी सहेली और बहन ज्यादा जैसी कुदसिया… Read More
लघुकथा : नालायक बेटा
रामानंद बाबू को अस्पताल में भर्ती हुए आज दो महीने हो गये। वे कर्क रोग से ग्रसित हैं। उनकी सेवा-सुश्रुषा करने के लिए उनका सबसे छोटा बेटा बंसी भी उनके साथ अस्पताल में ही रहता है। बंसी की मां को… Read More
लघुकथा : डॉग लवर
ओमप्रकाश भारतीय उर्फ पलटू जी शहर के सबसे बड़े उद्योगपति होने के साथ ही फेमस डॉग लवर अर्थात् प्रसिद्ध कुत्ता प्रेमी भी थे। पलटू जी ने लगभग सभी नस्ल के कुत्ते पाल रखे थे। उन्हें कुत्तों से इतना प्रेम था… Read More
कहानी : मसाज पार्लर
वरुण को अचानक एक रात 6-7 लड़कों ने घेर कर बुरी तरह चोटिल कर दिया था। उनके हाथों में तलवारें थीं जिनके वार से वरुण का हाथ लगभग अपनी बाँह से कट सा गया था। वरुण उस रात देर तक… Read More
कहानी : सदमा
दो महीने हो गये। शांति देवी की हालत में कुछ भी सुधार ना हुआ। पुरुषोत्तम बाबू को उनके मित्रों और रिश्तेदारों ने सुझाव दिया कि एक बार अपनी पत्नी को मनोचिकित्सक से दिखवा लें। पुरुषोत्तम बाबू को सुझाव सही लगा।… Read More
कहानी : भोर की प्रतीक्षा
आज प्लेटफार्म पर कुछ ज्यादा ही भीड़ थी, शायद कोई रैली जा रही थी ..पटना, लोग दल के दल उमड़े चले आ रहे थे, हाथों में झंडे, छोटे बड़े झोले, गठरियाँ लादे हुए …मुफ्त में यात्रा कर ,कुछ रूपये बचाने … Read More