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साल 2019 की फ़िल्में : कौन कितने पानी में ?

साल 2019 में लगभग 100 से भी ऊपर फ़िल्में रिलीज हुई। कुछ बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचाती नजर आई तो कुछ ने दिलों में जगह बनाने की कोशिश की। आज हम साल 2019 की कुछ ऐसी ही चुनिंदा फिल्मों की… Read More

कविता : जुबा से निकलेगा

आज कल कम ही नजर आते हो। मौसम के अनुसार तुम भी गुम जाते हो। कैसे में कहूँ की तुम मुझे बहुत याद आते हो।। दर्द दिल में बहुत है किस से व्या करू। हमसफ़र बिछड़ गया। अब किसका इंतजार… Read More

ग़ज़ल : बहुत याद आओगे तुम

जुबां से कहूं तभी समझोगे तुम इतने भी नादां तो नहीं होगे तुम अपना दिल देना चाहते हो मुझे मतलब मेरी जान ले जाओगे तुम भड़क उठी जो चिंगारी मोहब्बत की फिर वो आग ना बुझा पाओगे तुम इश्क में… Read More

भजन : राम भक्त हनुमान

जो खेल गये प्राणों पर, श्रीराम के लिए। एक बार तो हाथ उठा दो, मेरे हनुमान के लिए।। सागर को नाक के इसने, सीता का पता लगाया। प्रभु राम नाम का डंका, लंका में जा के बजाया। माता अंजली की… Read More

व्यंग्य : लोग सड़क पर हैं

“नानक नन्हे बने रहो,  जैसे नन्ही दूब बड़े बड़े बही जात हैं  दूब खूब की खूब” श्री गुरुनानक देव जी की ये बात मनुष्यता को आइना दिखाने के लिये बहुत महत्वपूर्ण है। ननकाना साहब में जिस तरह गुरूद्वारे को घेर… Read More

गीत : रिश्ते में बंधे

तेरे आने का मुझको, बहुत इंतजार रहता है। तेरे जाने का मुझको, बहुत गम भी होता है। ये आना और जाना, बंद हो सकता है? अगर बंध जाये दोनों एक पवित्र रिश्ते में।। मोहब्बत करना और निभाना, बहुत बड़ी चुनौती… Read More

दिशाहीन छात्र राजनीति

राष्ट्र के रचनात्मक प्रयासों में किसी भी देश के छात्रों का अत्यन्त महत्वपूर्ण योगदान होता है। समाज के एक प्रमुख अंग और एक वर्ग के रूप में वे राष्ट्र की अनिवार्य शक्ति और आवश्यकता हैं। छात्र अपने राष्ट्र के कर्णधार… Read More

कविता : शब्दों का महत्व

शब्दों के प्रयोग से महकता है आपका जीवन। शब्दों के प्रयोग से ही बनते है प्रशंशक। शब्दों के उपयोग से समझ आते है पढ़े लिखे। शब्दों और वाणी से बना सकते हो माहौल। शब्दों के बिना निराधार है आपका मनुष्य… Read More

कविता : कुछ ऐसा करो इस नूतन वर्ष

(1) कुछ ऐसा करो इस नूतन वर्ष शिक्षा से रहे ना कोई वंचित संग सभी के व्यवहार उचित रहे ना किसी से कोई कर्ष कुछ ऐसा करो इस नूतन वर्ष भले भरत को दिलवा दो सिंहासन किंतु राम भी वन… Read More

कविता : अंतर्द्वंद-अन्तर्मन

अन्तर्मन अंतर्द्वंद, अंतर्द्वंद क्षितिज-मन। सूर्य-किरण ठिठुर , हलचल-मन कठोर। क्षण-क्षण आशा, की दृश्य-विभोर। व्याकुल-दृष्टि, नेत्र-रिक्त। ग्रीष्म-शीत-वर्षा, ग्रीष्म-शीत-वर्षा, वर्षा-वर्षा-वर्षा। हर क्षण समझा, त्रुटि वही फिर दोहरा। क्षमा-याचना….. क्षमा, ना श्रुति ना शब्द। ग्रीष्म-शीत-वर्षा ये नहीं मौसमी वर्षा, अब कुछ नहीं कहना।… Read More