जुड़ती है सड़क एक सड़क से बासी रोटी ने महका रखा है घर को मैं कौन,निश्चित मैं मौन हूँ टूटी हैं बेड़ियां ,लड़कर थकी नहीं ,सड़क का कूड़ा , समय से लड़ती कूची दिमाग का दही बनाती है कविता ”… Read More
व्यंग्य : मठहाउस
प्रश्न – हिंदी साहित्य के वर्तमान परिवेश में मठ और मठाधीशों की क्या स्थिति है ? उत्तर- हिंदी साहित्य इस समय मठ और मठाधीशों के कम्रिक रूपांतरण की प्रक्रिया से गुजर रहा है । कोरोना काल में यात्रा करने की… Read More
व्यंग्य : तो छोड़ दूंगा
“काठ का घोड़ा,लगाम रेत की ,नदी पार तैयारी घटिया कला ,अछूती भाषा,बनते काव्य शिकारी ” कविवर अष्टभुजा शुक्ल की ये कविता ,आजकल घोषित हो रहे काव्य पुरस्कारों के बाबत बिल्कुल सटीक है ।लोग पुरस्कार पाते हैं तब नहीं कहते है… Read More
व्यंग्य : बोलो जुबां केसरी
बोलो जुबाँ केसरी (व्यंग्य) ‘कितने ऐश से रहते होंगे कितने इतराते होंगे जाने कैसे लोग वो होंगे जो उसको भाते होंगे “ जी हाँ उसको गुटखा बहुत भाता था ,वो गुटखे के बिना न तो रह सकता था और न… Read More
लेख : सुंदर नगरी
सब कुछ समेटा जा रहा था , आंदोलन समाप्त हो चुका था । आंदोलन से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों तरह से जुड़े लोग भी अपने उन पुराने दिनों में लौटने की तैयारी में जुटे थे ,जिनको वो काफी पीछे छोड़… Read More
व्यंग्य : लंका
“ना रूपया ना पैसा ना कौड़ी रे ये मोटू और पतलू की जोड़ी रे मोटू और पतलू रे” ये गीत गाते हुए प्रकाशक के लाये हुये लड्डू खाते हुए मोटू ने गब्बर स्टाइल में कहा – “अरे पतलू भाई ,… Read More
कविता : पापा, तुम बिन जीवन रीता है
जिस दिन से तुम छोड़ गए हमको पल-छिन दुख ने दहन किया हमको मन में बैठ गया तब से इक संताप जीवन में अंधेरा यूँ गया था व्याप्त कोई राह न अब तक सूझी हमको। पापा… तुम बिन जीवन… …… Read More
लेख : आठ अस्सी
फुटपाथ के दुकानदार ने सख्त लहजे में कहा “ यहां से जाओ चाचा , अस्सी रुपये में ये चप्पल नहीं मिलेगी,बढ़ाओ अपनी साइकिल यहाँ से “। ये सुनकर वो सोच में पड़ गए कि फुटपाथ की सबसे सस्ती दुकान पर… Read More
व्यंग्य : सबसे बड़ा है पईसा पीर
मुंबई के मलाड वेस्ट में मालवणी के गेट नम्बर सात पर मन्नू माइकल की मार्ट पर रेग्युलर अड्डेबाज जुटे। मुम्बई भी अजब है यहां बंदर विहीन बांद्रा है ,चर्च गेट स्टेशन पर कहीं चर्च नहीं है उसी तरह मालवणी में… Read More
व्यंग्य : “अंधेर नगरी, प्लेबॉय राजा”
कहते हैं कि अगर आप ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी से अपनी तालीम पूरी कर लें तो दुनिया भर की सबसे टॉप पोस्ट्स के दरवाजे आपके लिए खुल जाते हैं। तमाम मुल्कों के सदर ऑक्सफ़ोर्ड के ही पढ़े होते हैं। ऑक्सफ़ोर्ड भी अपनी… Read More