ना जाने क्यों तेरी आवाज़ सुकुन देती है बहुत ना जाने क्यूँ तेरे ख्याल से दिल हो शादाब जाता है जब भी सोचता हूँ तन्हाई में जिंदगी की बाबत मुस्कुराता तेरा चेहरा नज़र के सामने आता है । मुझे मालूम… Read More
कविता : रामलला घर आयेंगे एक दिन
रामलला घर आयेंगे एक दिन, आस लगाये पंथ निहारे तकते व्याकुल राहें राम की, नैना बिछाए देहरी बुहारे निकट आ गई घड़ी सखी री, रामलला फिर घर आयेंगे हर घर सजे अयोध्या जैसा, राम अयोध्या धाम आयेंगे। स्वागत की ऐसी… Read More
कविता : बीत गईं कई सदियाँ देखो
बीत गईं कई सदियाँ देखो, कितने पुरखे स्वर्ग सिधारे कब आयेंगे राम अयोध्या, कैसन जागें भाग्य हमारे सदियों से तरसी सरयू में, राम नीर बहने वाला है रामलला आ रहे अयोध्या, अँधियारा ढ़लने वाला है। करी तपस्या,दीं है आहुति, प्राण… Read More
कविता : आज फिर नेह से हाथ सिर पर फेर माँ
हूँ बहुत टूटा हुआ, बिखरा हुआ घायल निराश मरु में एक भटके पथिक-सा, दिग्भ्रमित- सा हताश प्रेम को प्यासा ह्रदय, व्याकुल स्वभाव ठिठोल को अपनत्व को आकुल है मन, जीवन दो मृदुबोल को बोल जिनको सुनकर मेरा, नयन नीर भी… Read More
कविता : मेरे राम हैं तेरे राम
मेरे राम हैं तेरे राम, तेरे राम है मेरे राम रामचंद्र जग के रखवारे, सबके काज सँवारे राम। सारी दुनिया भई दीवानी, बनी बाँवरी देख ज़रा चली आ रही धाम अयोध्या, दर्शन देंगें रामलला मंगल गीत गा रहे सारे, ताल… Read More
कविता : हे राम! मुझे अपना लो
हे राम! मुझे हनुमान समझ कर अपना लो निज सेवक सुत अंजान समझ कर अपना लो महामूरख ठेठ नादान समझ कर अपना लो कंकड़ धूलि पाषान समझ कर अपना लो। नेह इतना बरसाओ कि मन दुःख बिसरा दे दुःख पीड़ा… Read More
कविता : मकर संक्रांति
युगों युगों से, काल काल में, वेदों में ,पुराणों में आलौकिक है महिमा मंडित,शास्त्रों में व्याख्यानों में। बिहू,पोंगल,माघी,ओणम खिचड़ी कोई तिलचौली विभिन्न नाम से संक्रान्ति इस भारत में जाती बोली। दक्षिण से उत्तर को आते सारँग सूर्य भगवान किसी पिता… Read More
कविता : स्वामी विवेकानंद जयंती
भारत माँ के लाल यशस्वी, कोटि- कोटि चरण वन्दन। अमर मनुज विवेकानंद जी,सह्रदय स्वामी अभिनन्दन ।। सम्मान बढ़ाया भारत का, हम विश्वगुरु हैं बतलाया। सुन शून्य की अनन्त व्याख्या,जग का माथा चकराया।। भाषण दिया शिकागो में, पश्चात वो प्रवचन कहलाया।… Read More