binod

व्यंग्य : बिनोद बावफ़ा है

“अक्ल को तन्कीद से फुर्सत नहीं इश्क़ पर आमाल की बुनियाद रख” हाल ही में एक फ़िल्म आयी है चमनबहार जिसमें नायक अपनी जीतोड़ मेहनत सी की कमायी गयी अल्प पूंजी पर अपने मन के उदगार लिखते हुए लिखते हुए… Read More

congress party

आखिरकार कांग्रेसियों की कुंभकर्णी नींद टूटी

देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस अभी अपने सबसे बुरे दिनों से गुजर रही है। इसके कई कारण गिनाए जा सकते हैं लेकिन एक बड़ा कारण यह भी है कि कांग्रेस में लोकतांत्रिक ढंग से पार्टी में पदाधिकारियों के… Read More

khel

कविता : खेल

खेल में नहीं होता हैं कोई हिन्दू मुसलमान खेल में नहीं होता हैं ऊँचा नीचा महान खेल हैं सद्भावना मिल जाता हैं जिसमें सभी खेल में बन जाता हैं इंसान बस इंसान खेलने वालों ने दुनियाँ एक कर दी खेलकर… Read More

sheesh jhuka k to dekho

भजन : शीश झुका के देखो

तुम्हें दिल लगी भूल जाने पड़ेगी। गुरु चरणों में शीश झुका के तो देखो। तुम्हे दिल लगी भूल जाने पड़ेगी। प्रभु चरणों में शीश झुका के तो देखो। तुम्हे दिल लगी भूल जाने पड़ेगी। णमोकार मंत्र को जपके तो देखो।… Read More

corona kaal

कविता : कोरोना काल

जन सभाएं चल रही, शिक्षा के मंदिर बंद। कैसा कोरोना काल है, निर्णय भी मतिमंद। भाषण पे भाषण दिए, बच्चें घूमते खोर। सत्ता भी मजबूत हो, बच्चों पर दो जोर। जब बसें पूरी भरें, चलती क्यों न रेल। बाजार यहाँ … Read More

kise dhundh rahe ho

कविता : किसे ढूँढ रहें हो

कल से कल तक में आज को ढूँढ रहा हूँ। जीवन के बीते पलो को, आज में खोज रहा हूँ। शायद वो पल मुझे आज में मिल जाये।। बीत हुआ समय, कभी लौटकर नहींआता। मुंह से निकले शब्द, कभी वापिस… Read More