kise dhundh rahe ho

कल से कल तक में
आज को ढूँढ रहा हूँ।
जीवन के बीते पलो को,
आज में खोज रहा हूँ।
शायद वो पल मुझे
आज में मिल जाये।।

बीत हुआ समय,
कभी लौटकर नहींआता।
मुंह से निकले शब्द,
कभी वापिस नही आते।
इसलिए बहुत तोलमोल कर,
शब्दो को सदा बोलना चाहिए।
जिससे सुनने वाला आपकी,
वाणी से आपका हो जाये।।

दिल और मन
बहुत छोटे होते हैं।
दोनों पर वाणी का बहुत
जल्दी असर होता हैं।
जिससे कभी-कभी बड़े
दुश्मन भी दोस्त बन जाते हैं।
और कभी-कभी बने बनाये
रिश्ते भी बिगड़ जाते हैं।।

वैसे तो इस युग में कोई,
किसी का होता नहीं।
पर भी कुछ झूठे और
मायाचारी रिश्ते होते हैं।
जो दिल दिमाग और,
मन से सोचता हैं।
वो कलयुग में भी जीवन,
हंसते खिलखिलाते जीते  हैं।।

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