to baat bane

ग़ज़ल : तो बात बने

न वक़्त को बेकार गंवाओ, तो बात बने न किसी की आत्मा दुखाओ,तो बात बने बाद मरने के पहुँच जाते हैं सारे के सारे, किसी ज़िंदा को समझ पाओ, तो बात बने जितनी गिराने पे दिखाते हो एकता यारो, किसी… Read More

ghazal betha me soch rha tha

ग़ज़ल : बैठा मैं सोच रहा था

अगर जिंदगी ना होती तो ये फ़साने ना होते, ना दर्द होते ना दुःख कभी नसीब में होते!! रोजाना ऑफिस जाने के झंझट से दूर रहता, ना हर सुबह जल्दी उठने को फिक्रमंद होते!! ना महीने की सैलरी पाने पर… Read More

ghazal es raat ko wo tanha kar gaya

ग़ज़ल : इस रात को भी वो तन्हा कर गया

इस रात को भी वो तन्हा कर गया, वो किस्सा मेरा सरेआम कर गया!! सोचते थे जिसे हम ख़्वाब में ही, वो खुद को हक़ीक़त कर गया!! दे गया मुझे अपने तमाम दर्द, वो दिन को भी रात कर गया!!… Read More

ghazal ab bhaw zinda kha bacha hoga

गज़ल : भाव ज़िंदा कहाँ बचा होगा?

वो दिखने में हरा-हरा होगा, है ये मुमकिन, ज़हर भरा होगा। सबके रग-रग में अब रसायन है, भाव ज़िंदा कहाँ बचा होगा? मर चुका है ज़मीरोमन जिसका, कैसे समझूँ कि वो ज़िंदा होगा! इस तपिश से तो ऐसा लगता है,… Read More

banner jai shree ram

ग़ज़ल : राम नाम हर दिल मे बसा

राम हमारी संस्कृति हैं और राम हमारी भाषा हैं। राम हमारा गौरव हैं और राम ही अभिलाषा हैं।। राम – नाम हर दिल मे बसा हर जुबाँ पर उनकी गाथा है। राम हमारी साँसों मे मर्यादा की वो परिभाषा हैं।।… Read More

ghazal me pagal ho jau

ग़ज़ल : मैं अब पागल हो जाऊँ

इससे पहले कि मैं अब पागल हो जाऊँ। चाहता हूँ कि तुम्हारा काज़ल हो जाऊँ।। तू बरसती रहे मैं भीगता रहूँ मुसलसल, ग़र तू भीगती रहे तो मैं बादल हो जाऊँ।। मैं वो पत्थर भी नहीं कि जिसे चोट न… Read More

insan badal leta hai

ग़ज़ल : मुस्कान बदल लेता है

कभी नाम बदल लेता है, कभी काम बदल लेता है, सब कुछ पाने की ललक में, वो ईमान बदल लेता है। इस बेसब्र आदमी को नहीं है किसी पे भी भरोसा,  गर न होती है चाहत पूरी, तो भगवान् बदल लेता है। है कैसा आदमी कि रखता है बस हड़पने की चाहत,  गर मिल जाए कुछ मुफ्त में, तो आन बदल लेता है। इतने रंग तो कभी गिरगिट भी नहीं बदल सकता है, यारों जितने कि हर कदम पर, ये इंसान बदल लेता है। कमाल का हुनर हासिल है मुखौटे बदलने का इसको, पड़ते ही अपना मतलब, झट से ज़ुबान बदल लेता है। “मिश्र” काटता है बड़े ही ढंग से ये अपनों की जड़ों को, सामने दिखा के भारी ग़म, पीछे मुस्कान बदल लेता है। +160

ghazal kahne ko aadmi hai

ग़ज़ल : कहने को आदमी हैं

महंगाई बढ़ रही है, संबंध घट रहे हैं वो हम से कट रहे हैं, हम उन से कट रहे हैं इतिहास हो गए अब आँगन के खेल सारे क्वार्टर के दायरे में, अब घर सिमट रहे हैं महफिल सजी-सजी पर,… Read More

ghazal chalo ab aadmi bana jaye

ग़ज़ल : चलो अब आदमी बना जाए

सच नहीं वो जिसे सुना जाए सच नहीं वो जिसे लिखा जाए आँख देखा भी झूठ होता है कैसे ज़िंदा यहाँ रहा जाए इस कदर तार-तार रिश्ते हैं किसे अपना सगा कहा जाए एक चेहरे पे कई चेहरे हैं कैसे… Read More

ghazal me bhi zuban rakhta hu

ग़ज़ल : मैं भी जुबाँ रखता हूँ

मैं खामोश हूँ लेकिन, मैं भी जुबाँ रखता हूँ ! लोगों के छोड़े तीर, दिल में जमा रखता हूँ ! न समझो कि न आता मुझे जीने का सलीका, मैं पैरों तले जमीन, मुट्ठी में आसमाँ रखता हूँ ! मैं… Read More