to baat bane

न वक़्त को बेकार गंवाओ, तो बात बने
न किसी की आत्मा दुखाओ,तो बात बने

बाद मरने के पहुँच जाते हैं सारे के सारे,
किसी ज़िंदा को समझ पाओ, तो बात बने

जितनी गिराने पे दिखाते हो एकता यारो,
किसी को उठाने पे दिखाओ, तो बात बने

रात भर जलता है ये दीया औरों के वास्ते,
यारो बनके दीपक दिखाओ, तो बात बने

गरीबी अमीरी कोई माने नहीं रखती यारो,
बस हर हाल में यारी निभाओ, तो बात बने

कभी सफर ज़िंदगी का कटता नहीं तन्हा ,
कोई अच्छा सा साथी बनाओ, तो बात बने

ईंट और गारे से सिर्फ मकां बनते हैं ‘मिश्र’,
तुम उस मकां को घर बनाओ, तो बात बने

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