लघुकथा : नालायक बेटा

रामानंद बाबू को अस्पताल में भर्ती हुए आज दो महीने हो गये। वे कर्क रोग से ग्रसित हैं। उनकी सेवा-सुश्रुषा करने के लिए उनका सबसे छोटा बेटा बंसी भी उनके साथ अस्पताल में ही रहता है। बंसी की मां को… Read More

कविता : बहन

दिखती है जिसमें  मां की प्रतिच्छवि  वह कोई और नहीं होती है बान्धवि जानती है पढ़ना भ्राता का अंतर्मन अंतर्यामी होती है ममतामयी बहन है जीवन धरा पर जब तक है वेगिनी उत्सवों में उल्लास  भर देती है भगिनी  +120

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कविता : कवि सम्मेलन

स्वार्थपरायण होते आयोजक संग प्रचारप्रिय प्रायोजक भव्य मंच हो या कोई कक्ष उपस्थित होते सभी चक्ष सम्मुख रखकर अणुभाष करते केवल द्विअर्थी संभाष करता आरंभ उत्साही उद्घोषक समापन हेतु होता परितोषक करते केवल शब्दों का शोर चाहे वृद्ध हो या… Read More

लघुकथा : डॉग लवर

ओमप्रकाश भारतीय उर्फ पलटू जी शहर के सबसे बड़े उद्योगपति होने के साथ ही फेमस डॉग लवर अर्थात् प्रसिद्ध कुत्ता प्रेमी भी थे। पलटू जी ने लगभग सभी नस्ल के कुत्ते पाल रखे थे। उन्हें कुत्तों से इतना प्रेम था… Read More

कविता : क्यूंकि मैं सत्य हूँ

*क्योंकि मैं सत्य हूं* मैं कल भी अकेला था आज भी अकेला हूं और संघर्ष पथ पर हमेशा अकेला ही रहूंगा मैं किसी धर्म का नहीं  मैं किसी दल का नहीं सम्मुख आने से मेरे भयभीत होते सभी जानते हैं… Read More

कहानी : सदमा

दो महीने हो गये। शांति देवी की हालत में कुछ भी सुधार ना हुआ। पुरुषोत्तम बाबू को उनके मित्रों और रिश्तेदारों ने सुझाव दिया कि एक बार अपनी पत्नी को मनोचिकित्सक से दिखवा लें। पुरुषोत्तम बाबू को सुझाव सही लगा।… Read More

गीत : मैं तो हूं केवल अक्षर

मैं तो हूं केवल अक्षर  तुम चाहो शब्दकोश बना दो  लगता वीराना मुझको अब तो ये सारा शहर याद तू आये मुझको हर दिन आठों पहर जब चाहे छू ले साहिल वो लहर सरफ़रोश बना दो अगर दे साथ तू… Read More

कविता : भारत में

भारत में पूर्ण सत्य  कोई नहीं लिखता  अगर कभी किसी ने लिख दिया तो कहीं भी उसका प्रकाशन नहीं दिखता यदि पूर्ण सत्य को प्रकाशित करने की  हो गई किसी की हिम्मत  तो लोगों से बर्दाश्त नहीं होता और फिर… Read More

प्रेमगीत : है मुझे स्मरण… जाने जाना जानेमन !

है मुझे स्मरण… जाने जाना जानेमन ! वो पल वो क्षण हमारे नयनों का मिलन जब था मूक मेरा जीवन तब हुआ था तेरा आगमन कलियों में हुआ प्रस्फुटन भंवरों ने किया गुंजन है मुझे स्मरण… जाने जाना जानेमन !… Read More

गीत : प्रेम दिवस

चक्षुओं में मदिरा सी मदहोशी मुख पर कुसुम सी कोमलता तरूणाई जैसे उफनती तरंगिणी उर में मिलन की व्याकुलता जवां जिस्म की भीनी खुशबू कमरे का एकांत वातावरण प्रेम-पुलक होने लगा अंगों में जब हुआ परस्पर प्रेमालिंगन डूब गया तन… Read More