सरस्वती वंदना

हम मानुष जड़मति  तू मां हमारी भारती  आशीष से अपने प्रज्ञा संतति का संवारती तिमिर अज्ञान का दूर  करो मां वागीश्वरी  आत्मा संगीत की निहित तुझमें रागेश्वरी वाणी तू ही तू ही चक्षु  मां वीणा-पुस्तक-धारिणी  तू ही चित्त बुद्धि तू… Read More

ग़ज़ल : तक़दीर में केवल

तक़दीर में केवल ख़ुशियाँ कब आती हैं  सच्चे प्यार में परेशानियां सब आती हैं  छुपा ना रहे जब राज़ कोई दरमियां मोहब्बत में गहराइयां तब आती हैं सोचा भूल गया तुझसे बिछड़ के लेकिन तेरे संग गुजारी शामें याद अब… Read More

गीत

हर राम का जटिल जीवन पथ होगा  जब पिता भार्या भक्त दशरथ होगा  करके ज़ुल्म करता है वो इबादत कहो फिर कैसे पूर्ण मनोरथ होगा नींद आयेगी तुझे भी सुकून भरी जब तू भी पसीने से लथपथ होगा कृष्ण का… Read More

उत्तरायण उत्सव (मकर संक्रांति)

यह सत्य है कि मनुष्य के जीवन की दिशा और दशा में परिस्थितियों का बहुत बड़ा योगदान होता है। लेकिन खुशियों का संबंध मनुष्य की प्रकृति और उसके दृष्टिकोण से होता है। जीवन प्रतिपल परिवर्तित होता है। प्रत्येक दिन नवीन… Read More

ग़ज़ल : इंसानों की एक जमात कभी तो होगी

बेबसी की आख़िरी रात कभी तो होगी रहमतों की बरसात कभी तो होगी जो खो गया था कभी राह-ए-सफ़र में उस राही से मुलाक़ात कभी तो होगी हो मुझ पर निगाह-ए-करम तेरी इबादत में ऐसी बात कभी तो होगी आऊंगा… Read More

ग़ज़ल : मुझे भी फिर से उसी बेवफा पर प्यार आया है

आज लौटकर मिलने मुझसे मेरा यार आया है शायद फिर से जीवन में उसके अंध्यार आया है बचकर रहना अबकी बार चुनाव के मौसम में मीठी बातों से लुभाने तुम्हें रंगासियार आया है बहुत प्यार करता है मुझसे मेरा पड़ोसी… Read More

पशुओं से बलात्कार : एक मानसिक विकार

अगर मैं कहूं कि बलात्कार एक मानुषिक प्रवृत्ति है तो शायद आप इसे मनुष्य का अपमान समझेंगे। लेकिन अगर आप इसे पाशविक प्रवृत्ति कहेंगे तो यह पशु का अपमान होगा, क्योंकि कोई पशु बलात्कार नहीं करता। नवजातों से, नाबालिगों से,… Read More

ग़ज़ल : मानव ही मानवता को शर्मसार करता है

मानव ही मानवता को शर्मसार करता है  सांप डसने से क्या कभी इंकार करता है  उसको भी सज़ा दो गुनहगार तो वह भी है जो ज़ुबां और आंखों से बलात्कार करता है तू ग़ैर है मत देख मेरी बर्बादी के… Read More

ग़ज़ल : बहुत याद आओगे तुम

जुबां से कहूं तभी समझोगे तुम इतने भी नादां तो नहीं होगे तुम अपना दिल देना चाहते हो मुझे मतलब मेरी जान ले जाओगे तुम भड़क उठी जो चिंगारी मोहब्बत की फिर वो आग ना बुझा पाओगे तुम इश्क में… Read More

दिशाहीन छात्र राजनीति

राष्ट्र के रचनात्मक प्रयासों में किसी भी देश के छात्रों का अत्यन्त महत्वपूर्ण योगदान होता है। समाज के एक प्रमुख अंग और एक वर्ग के रूप में वे राष्ट्र की अनिवार्य शक्ति और आवश्यकता हैं। छात्र अपने राष्ट्र के कर्णधार… Read More