मोहब्बत को समझा होता तो। आज तुम्हारा ये हाल न होता। दिलकी धड़कनों को सुना होता। तो तुम्हारा ये हाल न होता। चाहकर भी तुम क्यों मौन रहे। पहले बोला होता तो ये न होता। गमों में डूबने का तुम्हें… Read More

मोहब्बत को समझा होता तो। आज तुम्हारा ये हाल न होता। दिलकी धड़कनों को सुना होता। तो तुम्हारा ये हाल न होता। चाहकर भी तुम क्यों मौन रहे। पहले बोला होता तो ये न होता। गमों में डूबने का तुम्हें… Read More
गणेश जी का रूप निराला हैं, चेहरा भी कितना भोला भाला हैं, जिसे भी आती हैं कोई मुसीबत, उसे इन्ही ने तो संभाला हैं। आप सभी को साहित्य सिनेमा सेतु परिवार के तरफ से गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएँ ।… Read More
छोटे-छोटे पइयाँ , छोटे-छोटे बाल । छोटो सो मेरो मनहर लाल । अरी , छोटो सो मेरो मनहर लाल ।।…2 हाथों में है मुरली , तिलक है भाल । पालकी सोहे , नंद को लाल । छोटे-छोटे पइयाँ , छोटे-छोटे… Read More
जिंदगी है महंगी , और मौत क्यों हो गई सस्ती….?? हाय रे…….!! ये कैसी अनजान मस्ती । छोटी-छोटी सतही बातों पर, क्यों हो रही है जीवन की केवल पस्ती और पस्ती (हार)? जीवन में कभी क्या कोई हार न होगी… Read More
‘स्त्री परिधि के बाहर’ उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती जनपद सोनभद्र की रहने वाली डॉ. संगीता की 2021 में प्रकाशित आलोचनात्मक पुस्तक है। इस पुस्तक में उन्होंने हिंदी साहित्य में स्त्री आत्मकथा का विवेचन व विश्लेषण किया है तथा हिंदी साहित्य… Read More
बचपन खोकर आई जवानी, साथ में लाई रंग अनेक। दिलको दिलसे मिलाने को, देखो आ गई ये जवानी। अंग-अंग अब मेरा फाड़कता, आता जब सावन का महीना। नए-नए जोड़ों को देखकर, मेरा भी दिल खिल उठता।। अंदर की इंद्रियों पर… Read More
जिंदगी का हिसाब किताब यही देना पड़ेगा। जीवन का कर्ज तुम्हें यही चुकाना पड़ेगा। जिंदगी का हिसाब किताब यही देना पड़ेगा। चाहे कितने भी छुपा लो पापों को। जिंदगी का हिसाब किताब यही देना पड़ेगा।। जिंदगी अब बोझ बनकर रह… Read More
बचपन खोकर आई जवानी, साथ में लाई रंग अनेक दिलको दिलसे मिलाने को, देखो आ गई अब ये जवानी अंग-अंग अब मेरा फाड़कता, आता जब सावन का महीना नए-नए जोड़ों को देखकर, मेरा भी दिल खिल उठता। अंदर की इंद्रियों… Read More
बहुत दिनों से मेरी फड़क रही थी आँखे। कोई शुभ संदेश अब शायद मिलने वाला है। फिर एकका एक तुम्हें आज यहाँ पर देखकर। अचंभित हो गया मैं तुम्हें सामने देखकर।। रुलाया है बहुतो को जवानी के दिनों में। कुछ… Read More
मैं शाम के वक्त चौराहे पर आंखे सेंकने और तफरीह के लिये निकला था। कि मुझे आंखे सेंकने के पुराने अनुभवी उस्ताद अच्छे लाल जी मिल गए , जो कि अब” अच्छे वाले सर” के नाम से विख्यात हैं। मुझसे… Read More