lover suicide

जिंदगी है महंगी ,
और मौत क्यों हो गई सस्ती….??
हाय रे…….!!
ये कैसी अनजान मस्ती ।
छोटी-छोटी
सतही बातों पर,
क्यों हो रही है
जीवन की केवल
पस्ती और पस्ती (हार)?
जीवन में कभी
क्या कोई हार न होगी ??
क्या किसी भी स्वजन से
कभी कोई रार(लड़ाई) न होगी ??
होगा प्यार ही प्यार
क्या कोई
तकरार(मनमुटाव) न होगी ??
होगी जीत ही जीत ,
क्या कभी हार न होगी ??

रार, तकरार ,हार से,
जो हार गए है कुंठित जन ।
क्यों रम रहा उनका केवल ,
मृत्यु पथ पर ही ये मन??
क्यों नहीँ नजर आते ,
उन्हें रंगीन जीवन के रंग ??
ना हो इंद्रधनुष तो भी
बरसते ही है, जीवन मे कुछ
तो हसीन रंग ।
रंगो में भी यदि,
जो हो श्वेत और श्याम
तो क्या रंग न कहलायेंगे ??
जीवन फीका न होगा तब भी,
जब सब ही रंग
जीवन के
जो संग न आएंगे ।

जीत का भी
क्या है मजा है यदि ,
उसमें पहले हार न हो ??
प्यार भी लगेगा सजा,
जिसमें कोई तकरार न हो ।
जानों,समझो,अपनाओ,
इन मीठे-कड़वे
जीवन के स्वादों को।
जाओगे जिस लोक,
फिर याद करोगे इन्ही ,
खट्टी-मीठी यादों को ।
पर लौट के फिर आना,
न शायद तब सम्भव होगा।
क्या तुम्हें यकीं है कि,
मृत्युपार फिर
सुलभ जीवन होगा ।
शायद तुमको
मरने पर ही
ये बात समझ आएगी ।
पर तत्क्षण जिंदगी ,
तुम्हारे हाथ से निकल जायेगी ।

रोष,क्रोध,हार कर ,
कभी तुम उस पथ
न बढ़ जाना ।
वो पथ केवल जाना ही जाना ,
न है लौट के वापस आना।
रार, तकरार, हार से,
यूँ जिंदगी हार नहीँ सकती ।
मृत्यु सामने भी हो ,
जिंदगी को कभी
मार नहीँ सकती ??

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