आज कल कम ही नजर आते हो। मौसम के अनुसार तुम भी गुम जाते हो। कैसे में कहूँ की तुम मुझे बहुत याद आते हो।। दर्द दिल में बहुत है किस से व्या करू। हमसफ़र बिछड़ गया। अब किसका इंतजार… Read More

आज कल कम ही नजर आते हो। मौसम के अनुसार तुम भी गुम जाते हो। कैसे में कहूँ की तुम मुझे बहुत याद आते हो।। दर्द दिल में बहुत है किस से व्या करू। हमसफ़र बिछड़ गया। अब किसका इंतजार… Read More
शब्दों के प्रयोग से महकता है आपका जीवन। शब्दों के प्रयोग से ही बनते है प्रशंशक। शब्दों के उपयोग से समझ आते है पढ़े लिखे। शब्दों और वाणी से बना सकते हो माहौल। शब्दों के बिना निराधार है आपका मनुष्य… Read More
(1) कुछ ऐसा करो इस नूतन वर्ष शिक्षा से रहे ना कोई वंचित संग सभी के व्यवहार उचित रहे ना किसी से कोई कर्ष कुछ ऐसा करो इस नूतन वर्ष भले भरत को दिलवा दो सिंहासन किंतु राम भी वन… Read More
अन्तर्मन अंतर्द्वंद, अंतर्द्वंद क्षितिज-मन। सूर्य-किरण ठिठुर , हलचल-मन कठोर। क्षण-क्षण आशा, की दृश्य-विभोर। व्याकुल-दृष्टि, नेत्र-रिक्त। ग्रीष्म-शीत-वर्षा, ग्रीष्म-शीत-वर्षा, वर्षा-वर्षा-वर्षा। हर क्षण समझा, त्रुटि वही फिर दोहरा। क्षमा-याचना….. क्षमा, ना श्रुति ना शब्द। ग्रीष्म-शीत-वर्षा ये नहीं मौसमी वर्षा, अब कुछ नहीं कहना।… Read More
तेरी यादों को अब तक, दिल से लगाये बैठा हूँ। सपनों की दुनियाँ में, अभी तक डूबा हुआ हूँ। दिल को यकीन नही होता, की तुम गैर की हो चुकी हो। और हक़ीकत की दुनियाँ से, बहुत दूर निकल गई… Read More
दिल की चाहत कल भी तुम थे आज भी तुम हो मेरी ज़रूरत कल भी तुम थे आज भी तुम हो तुमने तो मुझे कबका भुला दिया मेरी आदत कल भी तुम थे आज भी तुम हो तुमने न जाना… Read More
बनी धाय थी ,वही गाय हूं, करते क्यों तुम तिरस्कार । किस दिन लौटे,फिर जीवन में, मेरे वो… Read More
हे ! माँ मुझको गर्भ में ले ले, बाहर मुझको डर लागे। देह-लुटेरे, देह के दुश्मन, मुझको अब जन-जन लागे। अधपक कच्ची कलियों को भी, समूल ही डाल से तोड़ दिया। आत्मा तक को नोंच लिया फिर, जीवित माँस क्यों… Read More
वक्त के अंधेरे में वेवक्त ही मुलाक़ात हो जाये। दोस्ती न सही दुश्मनी की ही बात हो जाये। फिर से दोहरा लेते भूली – बिसरी यादों को, गुलो में गुलबहार न सही काँटा बबूल हो जायें, बात न करना तुम… Read More
हूं खुशकिस्मत अध्यापक हूं , हैं कार्यक्षेत्र मेरा अध्यापन। ज्ञान की अलख जगाने को ही, है मेरा सब समराथन । अज्ञान लोक यह जीवन है, इसमें अंधियारा रचा बसा। है परमपिता का परमाशीष, जो उससे लड़ने मुझे चुना। आदर्श बनाकर… Read More