कविता : जुबा से निकलेगा

आज कल कम ही नजर आते हो। मौसम के अनुसार तुम भी गुम जाते हो। कैसे में कहूँ की तुम मुझे बहुत याद आते हो।। दर्द दिल में बहुत है किस से व्या करू। हमसफ़र बिछड़ गया। अब किसका इंतजार… Read More

कविता : शब्दों का महत्व

शब्दों के प्रयोग से महकता है आपका जीवन। शब्दों के प्रयोग से ही बनते है प्रशंशक। शब्दों के उपयोग से समझ आते है पढ़े लिखे। शब्दों और वाणी से बना सकते हो माहौल। शब्दों के बिना निराधार है आपका मनुष्य… Read More

कविता : कुछ ऐसा करो इस नूतन वर्ष

(1) कुछ ऐसा करो इस नूतन वर्ष शिक्षा से रहे ना कोई वंचित संग सभी के व्यवहार उचित रहे ना किसी से कोई कर्ष कुछ ऐसा करो इस नूतन वर्ष भले भरत को दिलवा दो सिंहासन किंतु राम भी वन… Read More

कविता : अंतर्द्वंद-अन्तर्मन

अन्तर्मन अंतर्द्वंद, अंतर्द्वंद क्षितिज-मन। सूर्य-किरण ठिठुर , हलचल-मन कठोर। क्षण-क्षण आशा, की दृश्य-विभोर। व्याकुल-दृष्टि, नेत्र-रिक्त। ग्रीष्म-शीत-वर्षा, ग्रीष्म-शीत-वर्षा, वर्षा-वर्षा-वर्षा। हर क्षण समझा, त्रुटि वही फिर दोहरा। क्षमा-याचना….. क्षमा, ना श्रुति ना शब्द। ग्रीष्म-शीत-वर्षा ये नहीं मौसमी वर्षा, अब कुछ नहीं कहना।… Read More

कविता : मजाक न बनाये

तेरी यादों को अब तक,  दिल से लगाये बैठा हूँ। सपनों की दुनियाँ में, अभी तक डूबा हुआ हूँ। दिल को यकीन नही होता, की तुम गैर की हो चुकी हो। और हक़ीकत की दुनियाँ से, बहुत दूर निकल गई… Read More

कविता : दिल की चाहत

दिल की चाहत कल भी तुम थे आज भी तुम हो मेरी ज़रूरत कल भी तुम थे आज भी तुम हो तुमने तो मुझे कबका भुला दिया मेरी आदत कल भी तुम थे आज भी तुम हो तुमने न जाना… Read More

कविता : हे ! माँ मुझको गर्भ में ले ले

हे ! माँ मुझको गर्भ में ले ले, बाहर मुझको डर लागे। देह-लुटेरे, देह के दुश्मन, मुझको अब जन-जन लागे। अधपक कच्ची कलियों को भी, समूल ही डाल से तोड़ दिया। आत्मा तक को नोंच लिया फिर, जीवित माँस क्यों… Read More

कविता : वक्त के अंधेरे में

वक्त के अंधेरे में वेवक्त ही मुलाक़ात हो जाये। दोस्ती न सही दुश्मनी की ही बात हो जाये। फिर से दोहरा लेते भूली – बिसरी यादों को, गुलो में गुलबहार न सही काँटा बबूल हो जायें, बात न करना तुम… Read More

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कविता: हूं खुशकिस्मत अध्यापक हूं

हूं खुशकिस्मत अध्यापक हूं , हैं कार्यक्षेत्र मेरा अध्यापन। ज्ञान की अलख जगाने को ही, है मेरा सब समराथन । अज्ञान लोक यह जीवन है, इसमें अंधियारा रचा बसा। है परमपिता का परमाशीष, जो उससे लड़ने मुझे चुना। आदर्श बनाकर… Read More