कविता : साहित्यकारों की भूमिका

मेरी बातों का  असर दिख रहा है। मेरा लिखा हुआ भी बिक रहा है। अब समझ नही आ रहा है कि। किस विषय पर आगे लिखा जाए। कोई तो हमे लिख कर बताये। चारो तरफ अशांति का,  एक माहौल बना… Read More

कविता : लोग बदल रहें हैं

मौसम क्या बदल रहा है, इंसान भी बदल रहा है। सच मानो तो देश भी, अब बदल रहा है। अब तो रिश्ते भी, बिक रहे देश में। खरीदने वाला चाहिये, चाहे हो देशी या विदेशी।। अमन चैन से रहने वाले,… Read More

कविता : एकतरफा प्यार

दिलसे जिसे याद करते है, वो हमें याद करती नहीं। हम जिस पर मरते है, वो और पर मरती है। बड़ी विचित्र स्थिति है, मोहब्बत करने वालो की। जो एक दूसरे लिए,  बिल्कुल अजनबी है।। दिल में मोहब्बत के, दीये… Read More

गीत : इंसान हो

इंसान की औलाद हो, इंसान तुम बनो। इंसानियत को दिलमें, अपने जिंदा तुम रखो। मतलब फरोश है ये दुनियाँ, जरा इससे बचके रहो। लड़वा देते है अपास में, भाई बहिन को। ऐसे साँपो से तुम, अपने आप को बचाओ।। कितना… Read More

कविता : मिलन

जब हम होंगे, तुम्हारे पास तो। कयामत निश्चित ही, तुम्हारे दिलमें आएगी। धड़कने दिलों की, मानो थम जाएगी। जब चांदनी रातमें, होगा दिलोंका संगम। तो दिलों के, बाग लहरा उठेंगें। और अमन चैन, के फूल खिलेंगे। तो मचलते दिलको, जरूर… Read More

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कविता: क्यों बुला रहे हो

दिल की गैहराईयों, से मुझे देखो। सामने में नजर आऊंगा। चाँद को पाने के लिए, कही भी आ जाऊंगा। बस दिलसे एक बार, आवाज़ दो हमें। मैं खुद तुम्हारे समाने, हाजिर हो जाऊंगा।। न हम गलत है, और न हमारी… Read More

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कहानी : मसाज पार्लर

वरुण को अचानक एक रात 6-7 लड़कों ने घेर कर बुरी तरह चोटिल कर दिया था। उनके हाथों में तलवारें थीं जिनके वार से वरुण का हाथ लगभग अपनी बाँह से कट सा गया था। वरुण उस रात देर तक… Read More

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कविता : घर में हैं

आज घर का माहौल, बदला-2 सा दिख रहा है। घर में कोई तूफान, सा छा गया है। यह मुझे घर का, माहौल बता रहा है। और प्रिये तेरी नजरो में, भी मुझे नजर आ रहा है। लगता है पूरी रात,… Read More

संस्मरण : आखरी मोक्ष-उज्जैन यात्रा

आज के ही दिन ठीक दो साल पहले भगवान महाकाल और सती के परम् भक्त राजा विक्रमादित्य की नगरी में अपुन मौजूद थे। दो साल पहले की इस घटना को यात्रा वृतांत या कहें संस्मरण का रूप देने का प्रथम… Read More

व्यंग्य : ब्लैक स्वान इवेंट

“तुलसी बुरा ना मानिए जौ गंवार कहि जाय  जैसे घर का नरदहा भला बुरा बहि जाय “ अर्थात बाबा तुलसीदास कहते हैं कि गंवार व्यक्ति की कही गयी कड़वी बात का बुरा नहीं मानना चाहिए , जिस प्रकार घर की… Read More