मेरी बातों का 
असर दिख रहा है।
मेरा लिखा हुआ
भी बिक रहा है।
अब समझ नही
आ रहा है कि।
किस विषय पर
आगे लिखा जाए।
कोई तो हमे
लिख कर बताये।
चारो तरफ अशांति का,
 एक माहौल बना है।।
दुनियाँ में अपनी संस्कृति,  
 के लिए व्याख्यात भारत।
अपनी सारी संस्कृतियां,
 खोता जा रहा है।
और साहित्यकार लोग सिर्फ,
दर्शक बनकर देखे जा रहे है।
और अपनी बर्बादी का,
जश्न मना रहे है।
मानो फिरसे देश को,
निक्षर बना रहे है ।
और इसमें अपनी,
 भूमिका निभा रहे है।
और अपने आपको बड़ा,
साहित्यकार कहलवा रहे है।।
मनकी पीड़ा क्या होती है,
उन लोगों से पूछो?
जिन्होंने इससे खून,
पसीने से सींचा था।
और भारतको साहित्य में,
विश्व में स्थापित किया था।
तभी तो साहित्य को,
 समाज का दर्पण कहते है।।

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