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उस बहती नदी को समीप से देखा

आज मैंने उस बहती नदी को समीप से देखा जो हर रोज पड़ती है मेरे अध्व में…… मैं गुजर जाती हूं अपने जीवन की सूझ बूझ में उलझी उलझी….. मगर शायद आज नियति में था उससे मिलना वो वैसी बिल्कुल… Read More

कविता : ये धान के पकने का सुन्दरतम मौसम है

ये धान के पकने का सुन्दरतम मौसम है इस मौसम में हल्की-फुल्की,  कुछ ठण्डी-ठण्डी हवा-बतास बहेंगी धान के सोने जैसे बालियों में धीरे-धीरे कोटि-कोटि दूधदार चावल आएँगे मिट्टी की सुकोमलता पाकर सूरज की किरणों से नई-नई शक्ति मिलकर धीमी आँच… Read More

शारदा सिन्हा की राह पर मैथिली ठाकुर

इस चित्र को जल्दबाजी में तुलना मत समझ लीजियेगा। सालों बाद फिजां में सुरों की नई बयार चली है। जिसका जिक्र और स्वागत जरूरी है। तकरीबन चालीस साल से बिहार ही नहीं बल्कि देश, दुनिया में शारदा सिन्हा के सुर… Read More

बाजार की जद में है प्रकृति उपासना का पर्व छठ

उत्तर भारत में प्रकृति की उपासना का सबसे बड़ा पर्व छठ पूजा को माना जा सकता है। दीपावली के बाद यदि किसी पर्व में उत्तर भारतीयों का उत्साह बना रहता है तो वह छठ पूजा ही है। कहने के लिए… Read More

खरना का प्रसाद

अभी थोड़ी देर पहले पटना उतरा। उतरते कुछ दूर पैदल चलते एक टैम्पू को हाथ दे रोका। फिर 300 सौ से बात शुरु हो, एतना नही, तब छोड़ीये, भक्क नही, जाईए, नहीं होगा, नय सकेंगे की जिरह करते करते 130… Read More

मूवी रिव्यू : उजड़े चमन की उजड़ी हुई कहानी है उजड़ा चमन

एक प्रोफेसर है उम्र तीस बरस सब कुछ ठीक है। नही है तो सिर पर बाल। इस वजह से वह 30 का होकर भी 40-50 का अंकल टाइप लगता है। ऐसे उजड़े चमन इस दुनिया में बहुत से हैं। लेकिन… Read More

अखण्ड भारत : राष्ट्रीय एकता दिवस 2019

जय हिन्द जय अखण्ड भारत देश मेरा आजाद हुआ जब रियासत रजवाड़ों में बिखरा था पटेल जी के अथक प्रयासों से तब एकीकृत हो निखरा था पाँच सौ बासठ रियासतों को नायक ने एक एक जोड़ लिया जूनागढ़ के संग… Read More

कविता : लुटा तो मैं हूँ

कभी अपनो ने लूटा  कभी गैरो ने लूटा। पर में लुटता ही रहा। इस सभ्य समाज में।। किससे लगाएँ हम गुहार, जो मेरा दर्द समझ सके। मेरे ज़ख़्मों पर, मलहम लगा सके। और अपनी इंसानियत, को दिखा सके। और मुझे… Read More

छठ पर्व और आस्था

आस्था से बढ़ कर कुछ भी नहीं। जिसकी जिसमें आस्था उसे वहीं से सब कुछ मिलता है। धन्ने जट्ट ने इसी आस्था के बल पर काले पत्थर में से भगवान को प्रकट हो कर सूखी रोटियां खाने पर मजबूर कर… Read More

कविता : चलो उस ओर

चलो उस ओर, जहां सूरज निकलता है। पंख फैलाएँ, बिना रुके, बिना ठहरे। चलो उस ओर, जहां ऊर्जा-प्रकाश मिलता है। उम्मीद की किरणों से, हमारा मन प्रभावित  होगा। ऊर्जा रूपी प्रकाश से, हमारा चेतन प्रकाशित होगा। प्रतिपल बढ़ता हमारा कदम,… Read More