“सारी बीच नारी है, या नारी बीच सारी सारी की ही नारी है, या नारी ही की सारी” जी नहीं ये किसी अलंकार को पता लगाने की दुविधा नहीं है ,बल्कि ये नजीर और नजरनवाज नजारा फिलहाल लिटरेरी मेले का… Read More
“सारी बीच नारी है, या नारी बीच सारी सारी की ही नारी है, या नारी ही की सारी” जी नहीं ये किसी अलंकार को पता लगाने की दुविधा नहीं है ,बल्कि ये नजीर और नजरनवाज नजारा फिलहाल लिटरेरी मेले का… Read More
हुआ था जन्म जब तेरा, तबाही बहुत मची थी। इंसानियत की सारी हद, पार लोगो ने कर दी थी। भाई भाई से अपास में बिना वजह लड़े। पिता यहां और मां वहां, ऐसा कुछ इतिहास रचा। तभी तो आज तक,… Read More
हम कहीं ना जाइब अब ना केवनो परदेस ना केवनो विदेश ना बाहर कमाये ! अब हम माईये-बाबू के साथे रहब भाईये-बहिनिये संगे खेती में खटब ! जेवन मोर माई -बाबू, भईयवा-बहिनिया खईंहें-पीहें ऊहे खाइब ऊहे पीयब पनडूक आ फुरगुदिया… Read More
यह समाज तुम्हारे लिए कांटो भरा पथ होगा पर तुम डरना नहीं, हाँ पर हर बात पर झगड़ना भी नहीं, जब तुम बाहर जाओगी न तो…… सबकी निगाहे तुम पर होंगी……… तुम कहाँ जाती हो..? क्या करती हो….? किससे मिलती… Read More
तुम्हारे बाजार का चाँद तब तक ही बिकेगा। जब तक कि तुम हो।। कल के बाद वह चमकता चाँद भी धूमिल होगा । और अपनी पहचान ढूंढते लोगों में शामिल होगा ।। अस्तित्वहीन ना हो जाओ तो कहना । तुम्हारे… Read More
बहुत खुश हो आज तुम अपनी उपलब्धियों पर अब तो मानलो कि किसी ने ये खुशी तुम्हारे लिए मांगी होगी इतना इतराते हो कुछ हासिल करते हो जब तुम क्या जानो किसने तुम्हारे लिए ये दुआ की होगी ऐसे चले… Read More
जीना मरना तेरे संग है। तो क्यो और के बारे में सोचना। मिला है तुम से इतना प्यार, तो क्यो गम को गले लगाना। और हंसती खिल खिलाती, जिंदगी को क्यो रुलाना। अरे बहुत मिले होंगे तुम्हे प्यार करने वाले।… Read More
देवरिया। वरिष्ठ आलोचक, कवि एवं संपादक, गोरखपुर विश्वविद्यालय हिंदी विभाग के पूर्व आचार्य डॉ. परमानंद श्रीवास्तव की पुण्यतिथि आज नागरी प्रचारिणी सभा के गांधी सभागार में मनाई गई। कार्यक्रम का आयोजन जनपद से प्रकाशित साहित्य एवं शोध की तिमाही पत्रिका… Read More
हिंदी साहित्य जगत में एक समय के बाद कविताएँ लिखना लगभग खत्म सा हो गया था। या यों कहें कि कविताएँ तो लिखी जाती रहीं मगर स्तरीय लेखन का उनमें अभाव था। साहित्यकार अब न तो दरबारी कवि थे और… Read More
“बड़ा शोर सुनते थे पहलू में दिल का जो काटा तो कतरा ए लहू तक ना निकला” ऐसा ही कुछ रहा ,इस हफ्ते,,जब कश्मीर का नया जन्म हुआ ।धमकी,ब्लैकमेलिंग,और सुविधा की राजनीति करके उसे इंसानियत,कश्मीरियत,जम्हूरियत का मुलम्मा चढ़ाने वालों के… Read More