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भजन : विद्यासागर जी वाणी सुनो

विद्यासागर की वाणी सुनो। ज्ञान अमृत का रसपान करो। ज्ञानसागर दिव्य ध्वनि सुनो। जैन धर्म का पालन करो। विद्यासागर की वाणी सुनो।। आज हम सबका यह पुण्य है। मिला है हमें मनुष्य जन्म। किये पूर्व में अच्छे कर्म। इसलिए मिला… Read More

rose with book

कविता : क्या है वो जिन्हें

कुछ तो बात है उनमें, तभी लोग उनके हो जाते है। अपने अपने प्यार का इजहार करने, गुलाब का फूल लेकर, बार बार सामने जाते है। भले ही कुछ बोल न सके, पर अपनी बात गुलाब दिखकर समझते है। और… Read More

beautiful smiley face

कविता : प्यारे लगते हो

हँसता हुआ चेहरा, प्यारा लगता है। तेरा मुझे देखना, अच्छा लगता है। घायल कर देती है तेरी आँखे और मुस्कान। जिसके कारण पूरा दिन, सुहाना लगता है।। जिस दिन दिखे न तेरी एक झलक। तो मन उदास सा, हो जाता… Read More

cms vatavaran film festival 2019

पर्यावरण की फिक्र करता फिल्म समारोह

इन दिनों देश के अलग-अलग हिस्सों में ढेरों फिल्म समारोह आयोजित किए जाने लगे हैं। लेकिन इनमें से कुछ एक ही हैं जिन्होंने अपने अलग-से विषयों के चलते देश-विदेश में पहचान हासिल की है। ऐसा ही एक फिल्म समारोह है… Read More

व्यंग्य : अबकी बार, तीन सौ पार

“नहीं निगाह में मंजिल तो जुस्तजू ही सही  नहीं विसाल मयस्सर तो आरजू ही सही “ जी नहीं ये किसी हारे या हताश राजनैतिक पार्टी के कार्यकर्ता की पीड़ा या उन्माद नहीं है। बल्कि हाल के दिनों में तीन सौ… Read More

कविता : यह पुरुष नहीं तो कौन है ?

वह किसी नन्ही सी गुड़िया के लिए सुकून का ठिकाना, वह किसी निराश सर के लिए मजबूत कंधे का बहाना, वह किसी बच्चे को दौड़ते हुए समय से स्कूल पहुंचाना, वह किसी बूढ़ी माँ के रोगों का एकमात्र दवाखाना, वह… Read More

मूवी रिव्यू : कर्ज चुकाती है ‘रुई का बोझ’

बाप ही एक ऐसी सम्पत्ति होता है। जिसे बेटा पूरी तरह दूसरे भाईयों को देने के लिए तैयार रहता है। बुढ़ापा तो उसी दिन शुरू हो जाता है। जब हम जाने अनजाने उसके खिलाफ लड़ाई शुरू कर देते हैं। पिता… Read More

व्यंग्य : तो क्यों धन संचय

हाल ही में एक ट्वीट ने काफी सुर्खियां बटोरी , “पूत कपूत तो क्यों धन संचय पूत सपूत तो क्यों धन संचय” जिसमें अमिताभ बच्चन साहब ने सन्तान के लिये धन एकत्र ना करने का स दिया उपदेश दिया है… Read More

कविता : ‘संजय जैन’ की कविताएं भाग 1

क्या था बचपन याद आ रहे है हमें, वो बचपन के दिन। जिसमे न कोई चिंता, और न ही कोई गम। जब जैसा जहां मिला, खा पीर हो गए मस्त। न कोई जाति का झंझट, न कोई ऊंच नीच का… Read More

मूवी रिव्यू : ऐसी फिल्म देखकर ‘मरजावां’

मरजावां फ़िल्म की पटकथा 80 के दशक की सी है। ऐसी कुछ फिल्में अनिल कपूर, सनी देओल और जैकी श्रॉफ ने भी की थी।  अब लगता है, लगभग तीन दशक बाद सिद्धार्थ मल्होत्रा ​​की बारी है। फ़िल्म मरजावां का सेट… Read More