व्यंग्य : जाने से पहले

पत्नीजी गर्मी की छुट्टियों में मायके जाने लगीं। साले साहब लेने आये थे और उस पर तुर्रा यह था कि चार पहिया से लेने आये थे। बरसों पहले एम्बेसडर से ब्याह कर मेरे घर आई पत्नी अब स्कार्पियो से मायके… Read More

व्यंग्य : “इश्तहार-ए-इश्क़”

मशहूर शायर जनाब निदा फ़ाज़ली साहब का एक शेर है- “कोशिश भी कर, उम्मीद भी रख, रास्ता भी चुन, फिर इसके बाद थोड़ा मुकद्दर तलाश कर”। मगर विज्ञापनों की दुनिया में तो हर काम तुरत-फुरत होना चाहिये । 1-मसलन अगर… Read More

व्यंग्य : कोटि-कोटि के कवि

“कोई ऐ शाद पूछे या न पूछे, इससे क्या मतलब, खुद अपनी कद्र करनी चाहिये साहब कमालों को”। किसी गुमनाम शायर की इन मशहूर पंक्तियों को हमारे हिंदी-उर्दू के कवियों और शायरों ने अपने दिल पे ले लिया है शायद।… Read More

Anant Ambani

व्यंग्य : सदी की शादी

“जय श्रीराम शुक्लाजी, कहाँ से लौट रहे हैं इतनी गर्मी में? आसमान स आग बरस रही है और आप स्कूटर घर में रखकर साइकिल भांज रहे हैं। काहे बचा रहे हैं इतना पैसा” मैंने उन्हें अभिवादन करते हुए उन्हें शब्दों… Read More

gumshuda hansi

कविता : गुमशुदा हँसी

चेतना पारीक के कलकत्ते में किसी तलाश में आया हूँ मैं, काफी सुना था कि ये आनन्द और प्रेम की नगरिया है, उसी मृग-मरीचिका की तलाश का पर्याय है चेतना पारीक, चेतना पारीक जब होती भी तब भी वह गुमशुदा… Read More

poonam pandey

व्यंग्य : तुमको याद रखेंगे गुरू

“आइए महसूस कीजिये पब्लिसिटी के ताप को, मैं फिल्मवालों की गली में ले चलूंगा आपको” तो ख़्वातीनो हजरात मायानगरी की इस चमक-दमक से भरी दुनिया की सैर में आपका खैर मकदम है। इस रुपहली और मायावी दुनिया का एक बेफिक्र… Read More

story rise of pink

लघुकथा: राइज ऑफ पिंक

“कल का फीचर किस पर रहेगा मैम” नुसरत ने योगिता जी से पूछा ? “कल का फीचर औरतों के गहरे सांवले रंग यानी डार्क काम्प्लेक्सन पर रहेगा” ये कहकर वो फेयरनेस क्रीम अपने चेहरे और गर्दन पर मलने लगी ।… Read More

berojgari

कविता : तब तुमने कविता लिखी बाबूजी

तब तुमने कविता लिखी बाबूजी जब फांसी पर झूला किसान, जब गिरवी हुआ उसका खेत और मकान, जब बेचा था उसने बीवी का अन्तिम गहना, तब भी दूभर था उसका ज़िंदा रहना, वो हार गया आखिर जीवन की बाजी, तब… Read More

pram2023

कविता : प्रेम मेरा कुछ कम तो नहीं है

नहीं आता है मुझको आह का गान, वियोगी कवि सी नहीं मेरे आलाप की तान, मैं क्यों कर न सका वैसा ही करुण विलाप, जैसे कौंच खग ने किया था वेदना का प्रलाप, मेरे शब्द नहीं बन पाए पीड़ा की… Read More

happy new year

व्यंग्य : शुभकामनाओं की सुनामी

लोगों को इस साल में भले ही कुछ नयापन नजर न आ रहा हो, हमें तो मौजा ही मौजा ही दिख रहा है । चुनावी साल है तो जनता जनार्दन की बल्ले -बल्ले रहने वाली है । व्यंग्यकार को चिकोटी… Read More