karan johar

करण जौहर इस नई शताब्दी में नई जेनरेशन की पसंद की फिल्में बनाने वाले निर्माता और निर्देशक हैं। वे पहले फिल्म निर्देशक आदित्य चोपड़ा की टीम में थे। यश फिल्मस के बैनर तले जब आदित्य दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे बना रहे थे तो करण उसके कास्टयूम डिजाइनर थे। वे इसी क्षेत्र में आगे भी काम करना चाहते थे। डीडीएलजे के निर्माण के दौरान ही करण की दोस्ती शाहरुख से हुई। शाहरुख ने करण से कहा आप बहुत अच्छा लिखते हैं। आप बेहतरीन निर्देशक बनेंगे, बस इसके लिए आपको लिखना होगा। और जब आप पहली फिल्म बनाएंगे तो मैं उसमें अभिनय करुंगा। यह बातचीत जब हो रही थी तो उसी वक्त फिल्म की हीरोइन काजोल भी वहां पहुंची। उन्होंने भी कहा कि करण की फिल्म होगी तो मैं भी करूंगी। इस तरह से डीडीएलजे के निर्माण के दौरान ही करण की पहली फिल्म कुछ कुछ होता है की योजना बनी।
करण ने कुछ कुछ होता है का आइडिया आर्ची कॉमिक से लिया था। जिसमें एक टॉमबॉय टाइप की लड़की( रानी मुखर्जी) एक और लड़की काजोल और एक लड़के शाहरुख की प्रेम त्रिकोण की कहानी थी। करण अपनी आत्मकथा एक अनोखा लड़का में बताते हैं कि कुछ कुछ होता है का पहला वाक्य मुझसे दोस्ती करोगी राजकपूर के प्रति मेरा प्रेम है। फिल्म के दूसरे भाग में यश चोपड़ा के प्रति मेरा प्रेम दिखाई देता है जिसमें आलीशान बंगले और तड़क भड़क दिखाई देती है।
करण बताते हैं कि म्यूजिक सिटिंग और सेट पर किस तरह से काम करना है ये मैंने आदित्य चोपड़ा व यश चोपड़ा से सीखा है। शायद यही वजह है कि करण की भी अधिकतर फिल्मों का संगीत काफी हिट रहा है।

कभी खुशी कभी गम में रामायण से प्रेरणा
करण ने अपनी दूसरी फिल्म की प्रेरणा रामायण से ली थी। वे रामायण को आधुनिक परिवेश में पेश करना चाहते थे। बड़े भाई को घर से निकाल दिया जाता है तो छोटा भाई जाकर बड़े भाई और भाभी को वापस लाता है। करण ने यश चोपड़ा की कमी कभी की तरह ही अपनी फिल्म में सितारों की भीड़ जमा की। इसकी कास्टिंग का मजेदार पहलू ये रहा कि करण ने एक ही दिन में अमिताभ, जया, शाहरुख, ऋतिक, काजोल व करीना कपूर को साइन किया था। वर्ष 2001 में बनी ये फिल्म उस समय बॉलीवुड की सबसे महंगी फिल्म थी। इसके निर्माण पर 50 करोड़ रुपये का खर्च आया था। जिस वर्ष कभी खुशी कभी गम रिलीज हुई थी उसी साल आमिर खान की लगान और दिल चाहता है भी आई थीं। ये दोनों फिल्में देख कर करण जौहर भीतर से थोड़ा डर गए थे। उन्हे लगा की उनकी फिल्म ऐसा सिनेमाई अनुभव नहीं दे सकती जो लगान दे रही थी। लगान ने एक नई धारा शुरू की थी। इसी तरह दिल चाहता है में युवा पीढ़ी को ज्यादा विश्वसनीय अंदाज में पेश किया था। ऐसे में करण का आत्मविश्वास डगमगा गया था। उन्हे लगा फिल्म फ्लॉप हो जाएगी, लेकिन फिल्म देखने के लिए लोगों की लंबी कतार लगी। यहां तक करण को भी बाद में पता चला कि सड़क पर जो जाम लगा था वो उनकी फिल्म कभी खुशी कभी गम को देखने आए दर्शकों की वजह से लगा था।
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