किंग ऑफ रोमांस : यश चोपड़ा (जन्मदिवस विशेष)

हिंदी सिनेमा में किंग ऑफ रोमांस के नाम से मशहूर निर्माता/निर्देशक यश चोपड़ा जी का आज जन्मदिवस (27 सितम्बर 1932 – 21 अक्टूबर 2012) है। हिन्दी सिनेमा में बतौर पटकथा लेखक एवं निर्माता और निर्देशक, के रूप में यश चोपड़ा… Read More

भोजपुरी फिल्म अवार्ड्स सबरंग 2019

सबरंग 2019 में खेसारीलाल की फिल्मों का जलवा, संघर्ष को 12 अवार्ड्स, मां तुझे सलाम को 7 अवार्ड्स। साल 2019 का पहला भोजपुरी फिल्म अवार्ड्स “सबरंग” सफलतापूर्वक संपन्न। पिछले दिनों मलाड, मुंबई के अथर्व कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में सबरंग फिल्म अवार्ड्स… Read More

हर फ़िक्र को धुएं में उड़ाता चला गया : देव आनंद (जन्मदिवस पर विशेष)

हर फ़िक्र को धुएं में उड़ाकर, ज़िंदगी के साथ रोमांस करने वाले हिंदी सिनेमा के सदाबहार अभिनेता देव आनंद जी का आज जन्म दिवस (26 सितंबर, 1923 – 3 दिसम्बर 2011) है। इनका पूरा नाम धर्मदेव आनंद था। देव साहब… Read More

भारतीय सिनेमा का मंत्र ‘ऊँ प्रेमाय स्वाहा’

“संस्काराद् द्विज उच्च्यते।” संस्कारों से मनुष्य का निर्माण होता है और अच्छे संस्कार मनुष्य को मनुष्यता सिखाते हैं। समयांतराल पर ये संस्कार मनुष्य समाज, साहित्य और सिनेमा से ग्रहण करता है। हर युग के अपने संस्कार होते हैं। किंतु कुछ… Read More

अबोध से कलंक तक चन्द्रमुखी उर्फ़ ‘माधुरी दीक्षित’ विशेष

15 मई 1967 को मुंबई में जन्मी सबके दिलों की धड़कन धक धक गर्ल और देवदास की चंद्रमुखी यानी माधुरी दीक्षित एक सफ़ल भारतीय सिनेमा अभिनेत्रियों में से एक है। हिंदी सिनेमा के 80, 90 के दशक तक एक मुख्य… Read More

क्यों घटता जा रहा है सिनेमा में हिंदी महत्व ?

14 सितंबर, 1949 को भारतीय संविधान सभा ने देवनागरी लिपि में लिखी गई हिंदी भाषा को अखण्ड भारत की प्रशासनिक भाषा के ओहदे से नवाजा था। यही वजह है कि 1953 से प्रति वर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस के… Read More

पंकज त्रिपाठी : अपने ही रचे क्राफ्ट को बार-बार तोड़ता नायक

एक बेहतर अभिनेता वह है जो अपने रचे हुए क्राफ्ट को बार बार तोड़ता है, उसमें नित नए प्रयोग करता है और अपने दर्शकों, आलोचकों, समीक्षकों को चौंकाता है। बीते सालों में पंकज त्रिपाठी ने लगातार इस तरह के प्रयोग… Read More

मैं कैप्टन जैक स्पैरो हूँ !!!

हाँ सही सुना कैप्टेन जैक स्पैरो, जो कंकाल रूपी एक शरीर है। दरअसल मैं अभिशप्त आत्मा हूँ, मृत जीव या कहे एक मसखरा जो उलझे क्षणों में अपनी उपस्थिति से हास्य पैदा कर देता है। मैं इंसान नही हूँ बल्कि… Read More

‘स्त्री-अस्मिता’ और ‘हिंदी सिनेमा’ (भाग : एक)

स्त्री-भागीदारी को लेकर हमेशा उदासीन रहा हिंदी सिनेमा अब जागरूक हो चुका है। निःसंदेह यह जागरूकता फिल्म उद्योग की खुद की नहीं है बल्कि महिलाओं द्वारा किए खुद में परिवर्तनों के आधार पर आई है। ऐसा भी नहीं कि स्त्रियाँ… Read More