हर फ़िक्र को धुएं में उड़ाकर, ज़िंदगी के साथ रोमांस करने वाले हिंदी सिनेमा के सदाबहार अभिनेता देव आनंद जी का आज जन्म दिवस (26 सितंबर, 1923 – 3 दिसम्बर 2011) है। इनका पूरा नाम धर्मदेव आनंद था। देव साहब अपनी ख़ास स्टाइल के लिए जाने जाते हैं। अपने अलग अंदाज और बोलने के तरीके के लिए वे काफ़ी मशहूर थे। सिर हिलाकर, गर्दन झुकाकर, एक सांस में लंबे-लंबे डायलॉग बोलकर हिंदी सिनेमा के रुपहले परदे पर अभिनय की जो छाप छोड़ी उस तक कोई दूसरा अभिनेता आज तक नहीं पहुँच सका है। अभिनय तो अभिनय इनके पहनावे का भी जलवा उस वक्त ऐसा था कि सफ़ेद शर्ट और काले कोट-पैंट में लोग इन्हें देखने के लिए पागल से हुए जाते थे। इस चक्कर में कुछ फैंस ने तो आत्महत्या तक कर ली थी। देव साहब से जुड़ी यह सबसे अधिक रोचक घटना है, जब कोर्ट ने उन्हें काले कोट पहनने पर रोक लगा दी थी। ये बात सुनने में जरूर अटपटा सा लगता है किंतु ऐसा हुआ था। हुआ यूं था कि काले कोट में देख कर लड़कियां छत से छलांग लगाने लगी थीं। दो-चार घटनाएँ भी ऐसी हो गई तब देवानंद की मुश्किलें काफी बढ़ गई थी। ऐसी दीवानगी का आलम देखकर कोर्ट को बीच में दखल देना पड़ा और देवानंद के काले कोट पहनने पर पाबंदी लगा दी। देव साहब ने तेरे मेरे सपने, हरे रामा हरे कृष्णा, जॉनी मेरा नाम, गाइड, ज्वैलथीफ, पेइंग गेस्ट, सी आई डी जैसी कई बेहतरीन फिल्में हमें दी। उन्होंने अपने समय की सभी नामी अदाकाराओं के साथ जोड़ी बनाई। मधुबाला, वहीदा रहमान, सुरैया, हेमामालिनी, मुमताज़, आशा पारेख, शर्मिला टैगोर, वैजयंती माला, ज़ीनत अमान, आदि सबके साथ एक से बढ़कर एक हिट फिल्में दीं। 26 सितम्बर 2007 को देव साहब की आत्मकथा रोमांसिंग विद लाइफ उनके जन्म दिवस के अवसर पर सबके सामने आई, जिसमें तब के प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह जी भी उपस्थित थे। और बड़े संयोग की ही बात है की मनमोहन सिंह जी का भी जन्म दिवस (26 सितंबर 1936) इसी दिन पड़ता है। अभिनेत्री सुरैया के संग इनके प्यार के किस्से भी काफी चर्चे में रहे। अपनी आत्मकथा रोमांसिंग विद लाइफ में लिखा है कि उस वक़्त उन्होंने सुरैया को तीन हज़ार रुपए कि अंगूठी दी थी। जिस वक़्त देव साहब करियर बनाने में जुड़े हुए थे तब सुरैया बड़ा नाम थी। इसके बावजूद दोनों में बहुत प्यार था। मगर सुरैया की नानी को यह रिश्ता मंजूर नहीं था। वो दूसरे धर्म में रिश्ते को लेकर बहुत नाराज थी। फिल्म के सेट के अलावा सुरैया का देवानंद से मिलना जुलना भी बंद करा दिया था। फिल्मी मैगजीन स्टारडस्ट को दिए अपने इंटरव्यू में सुरैया ने बतलाया था कि “देव जी की दी हुई अंगूठी एक बार किसी पार्टी में पहन ली थी तो जब ये बात उनकी नानी को पता चला तो जबरदस्ती मेरे हाथ से वो अंगूठी निकलवा दी थी। मुझे पता था कि देव ने दोस्तों से उधार लेकर मेरे लिए वो कीमती अंगूठी खरीदी है। उस रात मैं बहुत रोई थी”। 1977 में देवानंद जी ने राजनीति में भी अपनी किस्मत आजमाई थी। बहुत कम ही लोग जानते होंगे की उन्होंने एक राजनीतिक पार्टी भी बनाई थी जिसका नाम “नेशनल पार्टी ऑफ़ इंडिया” था।  जो की तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमति इंदिरा गाँधी के खिलाफ था। लेकिन ये राजनीति में चल नहीं पाये।        देव साहब पर लिखने को जितना लिखा जाए बहुत ही कम है। आज उनके जन्मदिवस पर उन्हें याद करते हुए फिलहाल इतना ही। विस्तार में फिर कभी बात जरूर करेंगे। देव साहब आज हमारे बीच नहीं है किंतु आज भी उनके फिल्म और गाने हमेशा उन्हें हमारे बीच होने का एहसास दिलाते रहते हैं। सही मायने में देवसाहब ने जो जीवन जिया है उसे समझने के लिए उनकी ही फिल्म हम दोनों (1961) का यह गाना बिल्कुल फिट बैठता है। जिसे साहिर लुधियानवी ने लिखा है। इसमें जीवन जीने के सही फ़लसफ़े को बतलाया गया है। पूरा का पूरा एक जीवन दर्शन इसमें हम देख सकते हैं। मैं जिंदगी का साथ निभाता चला गया हर फ़िक्र को धुएं में उडाता चला गया बरबादियों  का सोग  मानना फ़िज़ूल था, बरबादियों का जश्न मनाता चला गया  जो मिल गया उसी को मुक़द्दर समझ लिया जो खो गया मैं  उसको भुलाता चला गया। ग़म और ख़ुशी में फर्क  महसूस हो जहाँ मैं दिल को उस मुकाम पे लाता चला गया हर  फ़िक्र को धुएं में उडाता चला गया। कुछ प्रमुख फिल्में-
2003- अमन के फरिश्ते
1996- रिटर्न ऑफ ज्वैलथीफ
1991- सौ करोड़
1990- अव्वल नम्बर
1989- सच्चे का बोलबाला
1989- लश्कर
1985- हम नौजवान
1984- आनन्द और आनन्द
1977- डार्लिंग डार्लिंग
1977- कलाबाज़
1976- बुलेट
1975- वारंट
1973- शरीफ़ बदमाश
1973- छुपा रुस्तम
1973- बनारसी बाबू
1973- हीरा पन्ना
1971- गैम्बलर
1971- तेरे मेरे सपने
1971- हरे रामा हरे कृष्णा
1970- जॉनी मेरा नाम
1970- द ईविल विद इन
1969- महल
1967- ज्वैलथीफ
1966- प्यार मोहब्बत
1965- गाइड
1965- तीन देवियाँ
1964- शराबी
1963- तेरे घर के सामने
1961- रूप की रानी चोरों का राजा
1960- काला बाज़ार
1957- पेइंग गेस्ट
1956- सी आई डी
1954- टैक्सी ड्राइवर
1950- हिन्दुस्तान
1950- मधुबाला
1946- हम एक हैं
बतौर निर्देशक-
2005- मिस्टर प्राइम मिनिस्टर
2003- लव एट टाइम्स स्क्वैर
2001- सेंसर
1998- मैं सोलह बरस की
1994- गैंगस्टर
1993- प्यार का तराना
1980- लूटमार
1978- देस परदेस
1974- इश्क इश्क इश्क
1973- हीरा पन्ना
1971- हरे रामा हरे कृष्णा
1970- प्रेम पुजारी
पुरस्कार-
1967 – फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार – गाइड
1959 – फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार – काला पानी
2001- पद्म भूषण सम्मान
2002- दादा साहब फाल्के पुरस्कार

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