कविता : तुम स्वच्छंद मत होना

यह समाज तुम्हारे लिए कांटो भरा पथ होगा पर तुम डरना नहीं, हाँ पर हर बात पर झगड़ना भी नहीं, जब तुम बाहर जाओगी न तो…… सबकी निगाहे तुम पर होंगी……… तुम कहाँ जाती हो..? क्या करती हो….? किससे मिलती… Read More

कविता : बिकता चाँद और सपने

तुम्हारे बाजार का चाँद तब तक ही बिकेगा। जब तक कि तुम हो।। कल के बाद वह चमकता चाँद भी धूमिल होगा । और अपनी पहचान ढूंढते लोगों में शामिल होगा ।। अस्तित्वहीन ना हो जाओ तो कहना । तुम्हारे… Read More

कविता : याचक जिसे समझा तुमने

बहुत खुश हो आज तुम अपनी उपलब्धियों पर अब तो मानलो कि किसी ने ये खुशी तुम्हारे लिए मांगी होगी इतना इतराते हो कुछ हासिल करते हो जब तुम क्या जानो किसने तुम्हारे लिए ये दुआ की होगी ऐसे चले… Read More

कविता : तेरे संग जीना मरना

जीना मरना तेरे संग है। तो क्यो और के बारे में सोचना। मिला है तुम से इतना प्यार, तो क्यो गम को गले लगाना। और हंसती खिल खिलाती, जिंदगी को क्यो रुलाना। अरे बहुत मिले होंगे तुम्हे प्यार करने वाले।… Read More

कविता : ऐ पूँजीपति कवियों

ऐ पूँजीपति कवियों! क्या तुम्हारी महँगी-महँगी और ब्राण्डेड डायरियों में ज़रा जगह नहीं लिखने को उनका नाम भी जिनकी समूची देह से अंग-अंग से लहू, पसीना, स्वेद-रक्त और आँसू पूरी तरह से, बुरी तरह से दूहे जा चुके हैं और… Read More

कविता : बच्चे

बच्चे बहुत अच्छे होते हैं तन, मन, वचन, आत्मा से बहुत सच्चे होते हैं प्रेम-सद्भाव के वृक्ष-आम के कोमल डालियों की तरह सदा झुके होते हैं कच्चे-पक्के फलों की तरह लदे होते हैं यदि मिलनसार की भाषा सीखना है तो… Read More

कविता : अरज करूँ मैं

हे मेरे ईश्वर, ओ माय गॉड,ए मेरे मालिक, या खुदा। हाथ उठाऊं, अरज करूँ मैं, ढूँढ़ू तुझको मैं कहाँ कहाँ। मन्दिर में ढूँढा तो मिली बस तेरी मूरत थी प्यारी। गिरजे का घण्टा बजा मैं थाका तेरी शान थी न्यारी।… Read More

कविता : कल को आज में जीओ

जो लोग कल में, आज को ढूंढते है। और खुद कल में जीते है, वो बड़े बदनसीब होते है। क्योंकि कल जिंदगी में, कभी आता ही नही। इसलिए में कहता हूं, की आज में जीकर देखो। जिंदगी होती है क्या,… Read More

उस बहती नदी को समीप से देखा

आज मैंने उस बहती नदी को समीप से देखा जो हर रोज पड़ती है मेरे अध्व में…… मैं गुजर जाती हूं अपने जीवन की सूझ बूझ में उलझी उलझी….. मगर शायद आज नियति में था उससे मिलना वो वैसी बिल्कुल… Read More

कविता : ये धान के पकने का सुन्दरतम मौसम है

ये धान के पकने का सुन्दरतम मौसम है इस मौसम में हल्की-फुल्की,  कुछ ठण्डी-ठण्डी हवा-बतास बहेंगी धान के सोने जैसे बालियों में धीरे-धीरे कोटि-कोटि दूधदार चावल आएँगे मिट्टी की सुकोमलता पाकर सूरज की किरणों से नई-नई शक्ति मिलकर धीमी आँच… Read More