कविता : वो भाग जाते हैं

लगाकर आग दिल में वो,  अक्सर भाग जाते है। कह कर अपनी बात, अक्सर भाग जाते है। बिना जवाब के भी, क्या वो समझ जाते है। तभी तो बार बार आकर, मुझसे कुछ कहते है।। उन्हें प्यार हो गया है।… Read More

कविता : श्रोता बना आशिक

मिले हम अपनी कविता,  गीतों के माध्यम से तुम्हें। परन्तु ये तो कुछ, और ही हो गया। पढ़ते पढ़ते मेरी गीतों के, तुम प्रशंसक बन गये। और दिल ही दिल में, हमें चाहाने लगे। और अपने से, हमें लुभाने लगे।।… Read More

कविता : मोहब्बत ने सीखा दिया

मेरी मोहब्बत ने मुझे, लिखना सीखा दिया। लोगो के मन को, पढ़ना सीखा दिया। बहुत कम होंगे जो मुझे,  पढ़ने की कोशिस करते होंगे। वरना जमाने वालो ने तो, मरने को छोड़ दिया था। न धोका हमने खाया है, न… Read More

प्रेमगीत : है मुझे स्मरण… जाने जाना जानेमन !

है मुझे स्मरण… जाने जाना जानेमन ! वो पल वो क्षण हमारे नयनों का मिलन जब था मूक मेरा जीवन तब हुआ था तेरा आगमन कलियों में हुआ प्रस्फुटन भंवरों ने किया गुंजन है मुझे स्मरण… जाने जाना जानेमन !… Read More

कविता : टिक-टिक-टिक

घड़ी की सुई,                            टिक-टिक-टिक। हृदय की गति, धक-धक। वक़्त की चाल, है रफ़्तार। पानी की बूंदें, टप-टप-टप। साँसों का चलना, अंदर-बाहर, ऊपर-नीचे। कुछ कारवां आगे, कुछ लम्हें पीछे। पलकें झपके, ऊपर-नीचे। सब चंचल गतिमान, वजनी द्रव्यमान। हर जगह शोर, स्पष्ट… Read More

गीत : प्रेम दिवस

चक्षुओं में मदिरा सी मदहोशी मुख पर कुसुम सी कोमलता तरूणाई जैसे उफनती तरंगिणी उर में मिलन की व्याकुलता जवां जिस्म की भीनी खुशबू कमरे का एकांत वातावरण प्रेम-पुलक होने लगा अंगों में जब हुआ परस्पर प्रेमालिंगन डूब गया तन… Read More

गीत : जवानों को सलाम

सलाम करते हैं हम, उन वीर जवानों को। जिनकी दम पर हम, घरों में आराम करते हैं। और वो देते हैं पहरा, सीमा पर खड़े होकर। उन्ही की दम पर हम, अमन चैन से रहते हैं।। उन्हें क्या मिलता हैं, देश सेवा करने से। किसने उनसे पूछा, कभी उनकी मर्ज़ी को। उनके सीने में देश सेवा, का भाव धड़कता हैं। तभी तो वो सेना में, हुआ करते हैं भर्ती।। जरा सोचो तुम लोगो, वहां पर कौन रह सकता। जहां पर मौत का खतरा, सदा ही बना रहता हैं। फिर क्यो ये रास्ता चुनते हैं ये लोग ? क्योंकि उनके सीने में, देश सेवा की आग जलती है।। इसलिए संजय उनके, माँ बाप को करता है सलाम।… Read More

कविता : वतन से मोहब्बत निभा गए

सारी दुनियाँ से अपनी, पहचान मिटाकर चले गए, भिगोकर खून में वर्दी, कहानी दे गए अपनी। मोहब्बत वाले दिन, वतन पर जान लुटा गए, और वतन से मोहब्बत वो, इस कदर निभा गए॥ अपनी सारी खुशियाँ और, अरमान लुटाकर चले… Read More

कविता : चूमना क्या है?

अधरों को अधर से सटा कर प्रिय चूम लेना ये चुंबन कतई ना हुआ वासना की झुलसती हुई आग में होंठ अपने जलाना भी चुंबन नहीं अधरों पर गड़े हों अधर ज़ोर से हाथ नितंब व छाती दबाते रहें प्यास… Read More

कविता : दो वक़्त की रोटी

ये “दो वक़्त की रोटी” है बड़े काम की भैया, रख लो इसे संभाल के भैया। जिसको मिल जाए उसकी तो बल्ले-बल्ले, ना मिले तो बुरा हाल है भैया। सोचो गर दुनिया मेँ खाना जरूरी न होता, तो शायद किसी… Read More