कभी आगे का ख़्याल करते, तो अच्छा होता कभी गुज़रा भी याद करते, तो अच्छा होता उजाड़ने का क्या है उजाड़ दो बस्तियां सारी, कभी तो कुछ आबाद करते, तो अच्छा होता औरों की अमानत को न उड़ाइये यारों में… Read More

कभी आगे का ख़्याल करते, तो अच्छा होता कभी गुज़रा भी याद करते, तो अच्छा होता उजाड़ने का क्या है उजाड़ दो बस्तियां सारी, कभी तो कुछ आबाद करते, तो अच्छा होता औरों की अमानत को न उड़ाइये यारों में… Read More
बड़ी ख़ुदग़र्ज़,बड़ी फ़ितरती है दुनियाँ, नफ़रतों के खम्बों पर,टिकी है दुनियाँ। किसी को ग़म नहीं धेले भर किसी का, ये बड़ी ही बेरहम,और बेरुख़ी है दुनियाँ। अब तो जीते हैं लोग बस अपने लिए ही, यारों औरों के लिए,मर चुकी… Read More
यारों अब तो क़ैदख़ाने में,जी नहीं लगता, अब तो मुफ़्त की खाने में,जी नहीं लगता। यारों दे रही हैं अब तो,हड्डियाँ भी जवाब, अब तो ज़िन्दगी बचाने में,जी नहीं लगता। पड़ गए हैं महफ़िलों में,जाने कब से ताले, अब कोई… Read More
जिगर में एक शोर, जी उठा है फिर से वो गुज़रा, किरदार, जी उठा है फिर से बड़े ही जतन से बाँध कर रखा था इसे, यारों दिल फ़ितरती, जी उठा है फिर से ला पटका है वक़्त ने उसी… Read More
जिसको भी दी जान, कर के निराश चल दिया हूँ कोंन उसका मैं, करा के अहसास चल दिया सांसें थीं जब तलक,अकेला चलता रहा यारों, पर मरते ही, यार बनके आमो ख़ास चल दिया मैं किसको कहूँ अपना, किसको बेगाना… Read More
यारों कोरोना ने सब की, हैसियत बता दी जाने कितनों की इसने, असलियत बता दी जो खाते थे हमेशा, मोहब्बतों की कसमें, उनकी वफा की इसने, कैफियत बता दी हर किसी को पड़ी है, बस अपनी अपनी, जान अपनी की… Read More
हमें परायों से नहीं, अपनों से डर लगता है हमें तो सच से नहीं, सपनों से डर लगता है दिल में चाहत के तूफान तो बहुत हैं मगर, हमें तो बनावटी, मोहब्बतों से डर लगता है हमने देखा है बहुत… Read More
तेरे लिए बदहालियां तो, दुनिया खोज लेगी रुकावटों को खाइयां तो, दुनिया खोज लेगी यारा खोज ले तू खुद से ही, खुद की खूबियाँ तेरे मन की खामियाँ तो, दुनिया खोज लेगी बस खोज ले तू अपने में, केवल अच्छाइयाँ… Read More
मैं दिल की जद्दोजहद,बातों में उड़ा देता हूँ, छुपाने को ज़र्द चेहरा,मुखौटा लगा लेता हूँ। इधर दिखा के तमाशा भी मिलेगा क्या यारो, मैं छलकते अश्कों को,पलकों में छुपा लेता हूँ। यारों न चाहता हैं कोई अब बनना हमसफ़र, मैं… Read More
यारों ठोकरें खा कर भी,मैं ठहरा नहीं हूँ, भले ही अजीब हैं रास्ते,मैं भटका नहीं हूँ। ये आंधियाँ ये ज़लज़ले आते रहेंगे रोज़ ही, पर उड़ा न पाएंगे मुझे,मैं तिनका नहीं हूँ। मुझे हर तरफ से घेर लेती हैं पुरानी… Read More