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उत्तरायण उत्सव (मकर संक्रांति)

यह सत्य है कि मनुष्य के जीवन की दिशा और दशा में परिस्थितियों का बहुत बड़ा योगदान होता है। लेकिन खुशियों का संबंध मनुष्य की प्रकृति और उसके दृष्टिकोण से होता है। जीवन प्रतिपल परिवर्तित होता है। प्रत्येक दिन नवीन… Read More

मकरसक्रांति की यादों को हमसे साझा करें

मकर संक्राति का त्यौहार हर साल बड़ी ही धूम-धाम के साथ मनाया जाता है| मकर संक्रांति का त्यौहार हिंदू धर्म के लोगों के लिए एक विशेष महत्व रखता है| यह त्यौहार देशभर के किसानों के लिए हर्ष और उल्लास का… Read More

लोहरी की यादों को हमसे साझा करें

हर साल 13 जनवरी को लोहड़ी का त्योहार बड़े उल्लास के साथ मनाया जाता है। वैसे तो लोहड़ी का त्योहार पंजाब से जुड़ा हुआ है। इस दिन लोग लकड़ियों को जलाकर इस त्योहार की खुशियां मनाते हैं। लोहड़ी पर लोग… Read More

ग़ज़ल : इंसानों की एक जमात कभी तो होगी

बेबसी की आख़िरी रात कभी तो होगी रहमतों की बरसात कभी तो होगी जो खो गया था कभी राह-ए-सफ़र में उस राही से मुलाक़ात कभी तो होगी हो मुझ पर निगाह-ए-करम तेरी इबादत में ऐसी बात कभी तो होगी आऊंगा… Read More

ग़ज़ल : मुझे भी फिर से उसी बेवफा पर प्यार आया है

आज लौटकर मिलने मुझसे मेरा यार आया है शायद फिर से जीवन में उसके अंध्यार आया है बचकर रहना अबकी बार चुनाव के मौसम में मीठी बातों से लुभाने तुम्हें रंगासियार आया है बहुत प्यार करता है मुझसे मेरा पड़ोसी… Read More

पशुओं से बलात्कार : एक मानसिक विकार

अगर मैं कहूं कि बलात्कार एक मानुषिक प्रवृत्ति है तो शायद आप इसे मनुष्य का अपमान समझेंगे। लेकिन अगर आप इसे पाशविक प्रवृत्ति कहेंगे तो यह पशु का अपमान होगा, क्योंकि कोई पशु बलात्कार नहीं करता। नवजातों से, नाबालिगों से,… Read More

व्यंग्य : मेरा वो मतलब नहीं था

“जामे जितनी बुद्धि है,तितनो देत बताय वाको बुरा ना मानिए,और कहाँ से लाय” देश में धरना -प्रदर्शन से विचलित ,और अपनी उदासीन टीआरपी से खिन्न फिल्म इंडस्ट्री के कुछ अति उत्साही लोगों ने सोचा कि तीन घण्टे की फिल्म में… Read More

ग़ज़ल : मानव ही मानवता को शर्मसार करता है

मानव ही मानवता को शर्मसार करता है  सांप डसने से क्या कभी इंकार करता है  उसको भी सज़ा दो गुनहगार तो वह भी है जो ज़ुबां और आंखों से बलात्कार करता है तू ग़ैर है मत देख मेरी बर्बादी के… Read More

कविता : मेरा मन

ना जाने कहां पड़ा है कहीं रखकर भूल गई हूं शायद एक मन था जो मेरे पास हुआ करता था जाने कहां गया मिलता ही नहीं   वैसे… मैंने कोशिश भी कहां की उसे ढूंढने की गृहस्थी की जिम्मेारियों से… Read More

गीत : कर्तव्य

दीये का काम है जलना। हवा का काम है चलना। जो दोनों रुठ जाएंगे। तो मिट जाएगी ये दुनियाँ ।। गुरु का काम है शिक्षा देना। शिष्य का काम शिक्षा लेना। जो दोनों भटक जाएंगे। तो दुनियाँ निरक्षक हो जायेगी।।… Read More