बच्चों घबराना नहीं कोरॉना आया है नियम का पालन करो पहले तुम कितने हंसते खेलते, पढ़ते थे अब नियम बदल गए चार दिवारी में ही तुम्हें सबकुछ करना है खेल खिलौने मन बेहलाओ पशु पक्षियों से समय बिताओ घर के… Read More
दोहा : पावस
पावस आते मन ठहर, भीगे बदन मेरे। समूचा माहौल खुला, याद पनपे तेरे।। भीगा बदन बरसाएं, रिमझिम बारिश हुआ। साजन चले आते हैं, जब बरस बता रहा।। नन्हा पौध रोपण में, जमीन गीली हुईं। अस्तित्व बचाने में, बरसात कहीं गई।।… Read More
कविता : बेरोजगारी की हद
शिक्षित होकर भी देखा घर पर रहकर भी देखा सभी कहते मै बेरोजगार कोई कहता काम करो। शिक्षित घरेलू क्रियाकलापों में असहाय सभी शिक्षित को रोजगार भी नहीं। मजबूर शिक्षित रोजगार की तलाश में गुमसुम जैसा चाहे वैसा नहीं दर… Read More