किसी की आत्महत्या मेरे अंदर एक द्वंद छेड़ देती है । मैं खुद से ही सवाल जवाब फैसला सब करने लगता हूं और उस किए गए फैसले को मानने से इनकार भी मैं खुद ही करता हूं । मेरी नज़र में आत्महत्या अपनी सभी जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ने की एक अनजान सी कोशिश है । मौत के बाद क्या होता है ये जाने बिना ऐसी कोशिश करने का क्या ही तुक बनता है । हां कुछ परिस्थितियां होती हैं जब इंसान जानवर बन कर कुछ ऐसा कर जाता है जो उसे खुद की ही नज़रों में गिरा दे, उन हालातों में की गयी आत्महत्या पर मुझे कुछ खास दुख नहीं होता । जैसे कि निर्भया केस के दोषी राम सिंह ने आत्महत्या की थी ।
लेकिन आम लोगों के बीच से ऐसी खबरें बेचैन करती हैं । अभी तक यकीन नहीं हो रहा कि सुशांत सिंह राजपूत जैसा ज़िंदादिल दिखने वाला अभिनेता खुद को खत्म कर गया । क्या सोच कर ज़िंदगी शुरु हुई होगी और ये देखिए कि खत्म कहां हुई ।
आईएएस आईपीएस और इंजीनियर पैदा करने वाली पटना की मिट्टी में जन्मे सुशांत भी लाखों बच्चों की तरह अपने माता पिता का सपना पूरा कर इंजीनियर बनने की तैयारी में जुट गए थे । AIEEE में ऑल इंडिया 7th रैंक लाए, मेकैनिकल इंजीनियरिंग पूरी की । एक बेहतर ज़िंदगी के लिए इतना कुछ करना बड़ी बात थी लेकिन सुशांत को शायद बेहतर नहीं बल्कि खुद के हिसाब से चलने वाली ज़िंदगी चाहिए थी ।
टीवी से शुरु कर के बड़े पर्दे तक अपनी बड़ी पहचान बनाई । संघर्षरत श्रेणी के कई युवकों के रोल मॉडल बन गए । सिर्फ फिल्मों में काम ही नहीं किया बल्कि धोनी और छिछोरे जैसी फिल्मों के साथ लोगों के दिल दिमाग में भी बस गए । छिछोरे में सबको सिखाया कि हार जाने से सब कुछ खतम नहीं हो जाता और खुद ही हार गये ।
कुछ दिन पहले अपनी एक्स मैनेजर की आत्महत्या की खबर को ‘दिल दहला देने वाली खबर’ बताने वाले सुशांत आज खुद इतनों को हैरान कर के चले गए । आखिर क्या वजह रही होगी ? सुशांत अपने 50 सपनों की लिस्ट बनाते हैं जिसमें ऐसा कुछ है जिन्हें देखते ही लगता है कि ये बंदा अभी खूब जीना चहता है, इसके पास खूब सारे लक्ष्य हैं, दुनिया घूमना चहता है । लेकिन फिर ऐसा क्या हुआ जो सपने पूरे किए बिना ही गहरी नींद में सी गए ? आखिर वो कैसी परिस्थिती रही होगी जो एक ऐसे व्यक्ति से आत्महत्या करवा गयी जो सफलता की ओर तेजी से बढ़ रहा था?
मैं अक्सर डरता रहता हूं इस बात से कि कहीं मुझे अपने आसपास से ही ऐसा कुछ सुनने को ना मिल जाए । यकीन मानिए, आपको पता भी नहीं लगेगा कि आपके सामने मुस्कुरा रहा आपका कोई अपना अन्दर ही अन्दर घुट रहा है और एक दिन चुपके से खुद को खतम कर लेगा ।
सफलता की चोटी की तरफ बढ़ रहे सुशांत सिंह राजपूत जब ऐसा कर सकते हैं तो फिर बार बार कोशिश करने के बाद असफलता पाने वाले हमारे भाई बहन दोस्त रिश्तेदार क्यों नहीं ? ईश्वर ना करे ऐसा हो लेकिन अपनी तरफ से सावधान रहें । अपने बच्चों को समझें और उन्हें समझायें ।
मैं फिर कह रहा हूं कि मैं आपके लिए हमेशा मौजूद हूं । कभी भी ज़रूरत लगे तो फोन करिए । मन घबराए तो बात करिए । बात करने से हल निकलता है । याद रखिए ज़िंदा हैं तो रास्ते ही रास्ते निकल आएंगे लेकिन अगर सांसें थम गयीं तो सब खत्म ।
इरफ़ान खान और सुशांत सिंह दोनों ही अपनी अपनी जगह पसंद थे मुझे । दोनों चले गए, दोनों के जाने का दुख है लेकिन दोनों में एक बड़ा फ़र्क है इरफ़ान खान लड़ कर गए और सुशांत सिंह हार कर ।
ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दें