song mohabbat rang lati hai

नियत में खोट हो तो,
मोहब्बत रंग कैसे लाएगी।
तमंनये दिल की,
दफन दिलमें हो जाएगी।

मोहब्बत का कोई,
जाति धर्म नहीं होता।
ये तो वो आग है जो,
पहले आंखों से लगता।।

दिलो में प्रेम भाव,
जो इंसान रखता है।
उसी के दिल दिमाग में,
मोहब्बत पनपता है।

ये वो सागर है जिसको,
हरकोई पार कर नहीं सकता।
बहुत सी आंधियां और तूफान,
इसके रास्ते में आते है।।

जो इन मुश्किलों को,
पार कर जाता है।
मोहब्बत उनकी ही,
तभी रंग लाता है।

जो डर जाते है कांटो से,
मोहब्बत कर नहीं पाते।
और इसका दोष ये लोग,
जमाने पर लगाते है।
और अपनी कायरता को,
जमाने से छुपाते है।।

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