parinam poem

खेल खेलो ऐसा की
किसी को समझ न आये।

लूट जाये सब कुछ
कोई समझ न पाए।
कर्ताधर्ता कोई और है
पर दाग और पर लग जाये।
और मकरो का रास्ता
आगे साफ हो जाये।।

देश का परिदृश्य
अब बदल रहा है।

लोगो का ईमान अब
बहुत गिर रहा है।
इच्छा शक्ति लोगो की
छिड़ हो रही है।
और अच्छे लोगो की
देश में कमी हो गई है।।

ऐसा तभी होता है जब
घोड़ा गधा साथ दौड़ता है।

और बुध्दि का परिक्षण
बिना संवादों से होता है।
और उस के परिणाम
देश में अब दिख रहा है।
तभी तो देश का नागरिक
ईमानदारी से लूट रहा है।
बस लूट रहा है…बस…।।

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