mat samjho beti ko parai

मत बेटी नै समझो पराई।
हो बेटी खरा धन भाई।।
1. बेटां पै पड़ै बेटी भारी,
बेटी हो घणी आज्ञाकारी,
ना ल्यावै कदे बुराई।
हो बेटी खरा धन भाई।।

2. दया, त्याग की मूर्ति बेटी,
सेवा के म्हां फिरती बेटी,
सदा राखें गात समाई।
हो बेटी खरा धन भाई।।
3. बहु-बेटे जब दें दुतकारा,
मात-पिता का बणे सहारा,
दे बणकै बैध दवाई।
हो बेटी खरा धन भाई।।
4. जो करते बेटी का आदर,
सदा सम्रद्धि आवै उस घर,
नूँ लिखी ग्रन्थों में पाई।
हो बेटी खरा धन भाई।।
5. समुन्द्र सिंह के तनै ज्ञान ना,
कन्यादान तै बढ़कै दान ना,
नूं कवियां नै भी गाई।
हो बेटी खरा धन भाई।।

   मत बेटी नै समझो पराई।
हो बेटी खरा धन भाई।।

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