समय की सीमा है
अपनो का प्यार है।
और अगले वर्ष का
अब हमे इन्तजार है।
इसलिए अब लेता हूँ
आप सभी से विदा।
रहेगी जिंदगी तो हम
फिर आप से मिलेंगे।
श्री चन्द्रप्रभु समूह में
अगले पर्युषण पर्व पर।।
हुई हो जो भी गलतियां
क्षमा कर देना आप सब।
बहुत नादान हूँ में
समझ नही पाता नादानियाँ।
इसलिए तो लोग खपा
हो जाते जल्दी मुझसे।
और छोड़ देते मेरा साथ
अकेले आगे चलने के लिए।।
हूँ तो में भी एक इंसान
स्वभाव होता गलती करने का।
सभी तो ज्ञानी नही होते
इसलिए नादानी कर देते है।
और क्षमावाणी के अवसर पर
हृदय से क्षमा याचना कर लेते है।
और ह्रदय द्वारा फिर से
अपनो के लिए खोल देते है।।