सौभाग्य मना रहे हैं जन-जन,
करके राम का गान।
पूरी करके प्रतिज्ञा,
समारोह प्रतिष्ठा प्राण।
जन का मन प्रफुल्लित हुआ,
अवध नजारा देख।
भव्य बालरूप राम का,
‘अजस्र’ करें प्रणाम।
राम दरबार सज गया,
शोभा अति अभिराम।
महापर्व श्री राम का,
तट सरयू प्रतिष्ठा प्राण।
‘अजस्र’ दिव्य स्वरुप है,
बाल राम प्रतिरूप।
राम की लीला अवध में,
जय-जय-जय श्री राम।
सरयू तट पर अर्चना,
रामलला जयकार।
अवध आज संसार सब,
यजमानी है अपार।
‘अजस्र’ प्रसन्नता हर और है,
गाँव भले हो देश।
प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष पहुँच रही,
बधाइयां बौछार।
जन्मभूमि जब राम की,
राम ही रक्षक आज।
संघर्षों, जिनका साथ रहा,
आज मिला स्वराज।
‘अजस्र’ मर्यादा पालते,
न्याय से पाया मुकाम।
कई राज आए गए,
अब है राम का राज।
प्राण प्रतिष्ठा राम की अब,
अवध है और स्वर्ग समान।
नभ-जल-थल बस राम है,
राम और केवल राम।
राम-हिन्द ‘अजस्र’ प्राण में,
जन-जन आस्था देख।
इंतजार सदियों, खत्म हुआ,
राम-अवध जगमान।
राम नाम हाला पीकर,
जग समस्त मदमाया।
पोष द्वादशी ,प्राण प्रतिष्ठा,
प्रशिक्षित दिन अब आया।
‘अजस्र’ जन्म हुआ सफल,
साक्षी बने जो लोग।
सज्जन ,संत ,अवधूत सब,
रटे नाम रघुराया।
लाख छबियां अयोध्या की,
प्राण प्रतिष्ठा राम।
मंगल ध्वनियां बज रही,
सुमन सुमंगल काम ।
‘अजस्र’ नजर न रुक रही,
मन उड़ा लगाए पंख।
रामपथ से गर्भ गृह,
कल्पना दरश अभिराम।