हिन्दोस्तां है सबसे अच्छा, हिन्दोस्तां है सबसे प्यारा।
कसरत में इत्तिहाद रखता, ऐसा हिन्दोस्तां है हमारा।।
इस देश का है जो परचम, तीन रंग को समेटे रखता।
हर रंग का है ख़ास पैग़ाम, इतना तो जहाँ समझता।।
हर मज़हबी लोग है रहता, हर त्यौहार साथ मनाता।
हर ज़ुबान में जब बोलता, अगला धीरे-धीरे समझता।।
मज़हब सिखाता है सभी को, इत्तिहाद के साथ रहना।
हम सभी हासिल करें इबरत, तब बनेगा मुक़ाम हमारा।।
हिन्दोस्तां ने इस जहाँ को, शतरंज व शिफर दिलाया।
अपनी शान ओ शौकत से, जहाँ को एहसास कराया।।
कहीं भी सैर कर लें हम, याद आता प्यारा वतन हमारा।
गंगा-यमुनी तहज़ीब हमारी, भाती सबको यही रीत हमारी।।
कई नदियाँ हैं खेलती, पहाड़ों व मैदानों की आगोश में।
कुदरत के नायाब तोहफ़ों से सजा है हिन्दोस्तां हमारा।।
कई माँओं के लाल हैं तैनात, वतन की निगरानी के लिए।
जांबाज संतरियों से घिरा रहता है यह हिन्दोस्तां हमारा।।
इनके हौसलों को देखकर, दुश्मन भी सोचता है दस बार।
सोचता है कुछ करूँ शरारत या करता रहूँ हिन्द का दीदार।।
दुश्मन ने की थोड़ी भी चूक, हिंद नाम-ओ-निशाँ मिटा देगा तुम्हारा।
हर कोई देश थोड़ी न है कि, हमारे हिन्दोस्तां के जैसे न्यारा-प्यारा।।
कुछ बात तो है हमारे हिन्दोस्तां में, सामने झुक जाते हैं देश सारे।
जहाँ में अपनी एक अलग ख़ास पहचान रखता हिन्दोस्तां हमारा।।
हम चाहते हैं हमेशा, वतन में अमन चैन को क़ायम रखना।
जहाँ में सबसे ऊपर रहे, ख़ूबसूरत लहराता तिरंगा प्यारा।।
‘रहमान बाँदवी’ फ़ख्र करो कि शान-ओ-शौकत वाला वतन तुम्हारा।
आराम फरमाँ हैं बहुत पाए के बुज़ुर्ग तभी ऐसा है हिन्दोस्तां हमारा।।