sainik-2023

आऊंगा मैं तुझसे मिलने ,माँ मेरी ए ,
खाकर कसम तेरी कहता हूं ।
देश-तिरंगे का मान बढ़ाने को ,
तुझसे दूर मैं रहता हूँ ।
आऊंगा मैं तुझसे मिलने……
चिट्ठी तेरी मुझको आई है जो माँ ,
मेरा ही हाल तूने पूछा है ।
मन में छुपा लिया दुख अपना ,
तेरा मेरे सिवा कौन दूजा है ?
जानू तेरे मन की पीड़ा पर,
तुझसे कभी ना मैं कहता हूँ ।
आऊंगा मैं तुझसे मिलने……
माँ के लिए , माँ ही कैसे,
देखो, आंचल में दुख को छुपाती है ?
तू तो छुपा ले, यह बात भले ही,
पर मुझको तेरी याद आती है ।
आँचल से तेरे मैं दूर हुआ पर,
गोद में माँ की मैं रहता हूँ ।
आऊंगा मैं तुझसे मिलने ……
तिरंगा वो झुक कभी नहीं पाए,
मुंडेर पर अपने जो लहराता ।
उसकी शान के खातिर ही तो ,
मैं तुझसे ना मिलने पाता ।
करते हुए ‘ सीमा ‘ रखवाली मैं,
देशभक्ति में ही बहता हूँ ।
आऊंगा मैं तुझसे मिलने……
देश-दुश्मन की जो खाकर गोली ,
सपूत देश का वो सिद्ध हुआ ।
दस आतंकी को ढेर करके जो,
मित्र ‘ अजस्र ‘ मेरा , शहीद हुआ ।
तिरंगे में लिपटा उसको देखकर ,
जय-जय हिंद मैं कहता हूँ ।
आऊंगा मैं तुझसे मिलने……
तू भी मुझको दे दे आशीष ये,
देशहित में कुछ कर जाऊं मैं ।
तुझसे शीघ्र भले ,ना मिल पाऊं ,
भारत माँ के ही काम आऊँ मैं ।
जाने को उस कर्तव्य पथ पर ही ,
मैं भी संवरता रहता हूं ।
आऊंगा मैं तुझसे मिलने …
गर ऐसा हो तुझसे मिलूं पर ,
कुछ भी बोल ना पाऊं मैं ।
गर्व से सिर पर हाथ फेरना ,
लिपट तिरंगे में आऊँ मैं ।
चरणों को तेरे ,दूर से ही छूके ,
‘ अजस्र ‘, ‘ धन्य मां ‘ कहता हूँ ।
आऊंगा मैं तुझसे मिलने मां मेरी ए ,
खाकर कसम तेरी मैं कहता हूँ।
देश-तिरंगे का मान बढ़ाने को ,
तुझसे दूर मैं रहता हूँ ।

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