लिख तूँ लिख,
सबकी सच्चाई लिख।
सच लिखने में डरना मत,
असली बकने में झिझकना मत।
बेईमान तोय दबायेंगे,
तूँ हरहाल में दबना मत।
मौत से कभी डरना मत,
काय मौत के बाद,
फिर से जनम मिलता है।
ईसें यी जनम तूँ डर गया,
तो खुदको भी माफ नहीँ कर सकेगा।
लिख तूँ लिख,
सबकी सच्चाई लिख…।।।
महासचिव – हिन्दी साहित्य परिषद, हंसराज कॉलेज दिल्ली विश्वविद्यालय,
सचिव प्रत्याशी – हंसराज कॉलेज छात्र संघ 2019-20,
हिन्दी और बुन्देली में लेख, कहानी, कविता, डायरी, निबंध और संस्मरण लेखन;
विशेषतः किसान – विमर्श पर सशक्त लेखन, राष्ट्रीय – अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी एवं कार्यक्रमों में प्रतिभाग, पत्र – पत्रिकाओं, वेबपोर्टल और ब्लॉग्स पर रचनाएँ प्रकाशित