आओ, खुशियां बाहों में भर लें,
आज लक्ष्य नए अपनाए ।
नए वर्ष की नवकिरणों से,
अंधियारों को मिटाए ।
‘ अजस्र ‘ आरंभ ये नव वर्ष का,
सुखद स्मृतियां आधार बने।
दुःख की काली रातें भूलकर,
खुशियों के दिन को उजलाएँ।
तीन सौ पैंसठ पुनरावृति,
माह बारह शुरुआत ।
चीजें नई-नई होनी अब ,
होनी नई फिर बात ।
‘ अजस्र ‘ दुआ ये ही है मांगे,
होवें मुरादें पूरी ।
दिन होली हो ,रात दिवाली
हो खुशियों की बरसात ।