खेत छोड़ सड़कों पर बग़ावत की हैं
किसानों ने संग्राम या सियासत की हैं,
खेती किसानी का जो हाल ना जाने
उसने भी इनके नाम हुकूमत की हैं,
हमें छोड़कर बहकावें में यूँ ना जाओ
फ़सलों ने किसानों से ज़ियारत की हैं,
जो हार गए जनता के मत मन से,तो
किसानों के सहारे सत्ता की चाहत की हैं,
निकलों अब घर से अपने देश के लिए
किसानों से सियासत ने सिफारश की हैं ।।
Keep up the good work.