little-girls

जीवन आशाओं की, आन है बेटी ।
गाथाऐं ‘ अजस्र ‘ , गुणगान है बेटी ।

विश्वजागृति जन-अभियान है बेटी ।
सप्त सावित्री धर्म, पहचान है बेटी ।

पिता का आदर्श, सम्मान है बेटी ।
खुद मां का रूप, उपमान है बेटी ।

सहर्ष संतति, स्वाभिमान-सी बेटी ।
सुरस्वप्नो की, ऊंची उड़ान-सी बेटी ।

एक खिलखिलाता-सा, बचपन बेटी।
घर आंगन जगती, दिल धड़कन बेटी ।

पिता भाल उज्ज्वल, चंदन है बेटी ।
भाई-कलाई रेशम, बंधन है बेटी ।

वंश वृक्ष का फल, अभिनंदन बेटी ।
जगजन्म में असुर, निकंदन बेटी ।

काली-दुर्गा-सी, स्त्री-सम्मान है बेटी ।
सूने घर की, मीठी मुस्कान है बेटी ।

अमर स्वतंत्रता, संविधान में बेटी ।
भारत की प्रखर, पहचान में बेटी ।

सात पीढ़ियों की, तू तारिणी बेटी ।
विश्व स्वरूपा मां, धारिणी बेटी ।

सौम्य सीता सम, सूजान है बेटी ।
मीरा भक्ति का, गुणगान है बेटी ।

धीर धरा-सी, धर्म मर्यादा बेटी ।
सरस्वती-सा रूप-गुण सादा बेटी ।

लक्ष्मी से ज्यादा तू चंचल बेटी।
स्नेहभरा माता का अंचल बेटी ।

क्षुदित मन अमृत, पान है बेटी ।
बसंत शोभा तू , परिधान है बेटी ।

रामायण गीता, कुरान है बेटी ।
बाइबिल संग गुरु, ज्ञान है बेटी

भारत माता का, विश्वास है बेटी ।
पुरुष महान की तो, आस है बेटी ।

मणिकर्णिका-सी, वीर भी बेटी ।
मां पन्नाधाय सी, धीर भी बेटी ।

द्रोपती का बढ़ता चीर भी बेटी ।
गंगा की ‘ अजस्र ‘ सीर भी बेटी ।

राम का अहिल्या, उद्धार है बेटी ।
दर्शन देवी का, अवतार है बेटी।

वैष्णवी भैरव, प्रतिकार भी बेटी ।
राधा कृष्ण प्रति, प्यार भी बेटी ।

सीता सावित्री स्नेह, बहार है बेटी ।
भारत गरिमा का, सत्कार है बेटी।

कौशल्या का प्रेम, संस्कार है बेटी ।।
मां यशोदा का, स्नेह दुलार है बेटी ।

भारत गर्भ का वो, इतिहास है बेटी ।
संस्कृति वैभव में, कुछ खास है बेटी ।

कुल प्रतिष्ठा की तो, पहचान है बेटी ।
गुण समाज का, अभिमान है बेटी ।

अथाह गार्गी सम ज्ञान है बेटी ।
‘ अजस्र ‘ ज्ञान की खान है बेटी ।

बचपन गुजरा इक खेल है बेटी ।
मां के सपनों का मेल है बेटी ।

बढ़ते हौसलों की, रेल है बेटी ।
बनी बहू, वंश – बेल है बेटी ।

पवित्र गंगा सी, निर्मल है बेटी ।
मां के मन उठती, हलचल है बेटी ।

बल बुद्धि गुण की खान है बेटी ।
कुल प्रतिष्ठा की पहचान है बेटी ।

धरती सी सोंधी, सुगंध है बेटी ।
रिश्तो का जोड़, पेबंद है बेटी ।

लल्ला यशोदा का, नंद है बेटी ।
स्वर्ग से ऊपर, वो आनंद है बेटी ।

गुणज समाज, अभिमान है बेटी।
जीवन सीख में, गतिमान है बेटी ।

उम्मीद का अनंत, आकाश है बेटी ।
बने दुर्गा तो, शत्रु नाश है बेटी ।

जीव जगत में, परवाज है बेटी ।
सब सुख का, सुरसाज है बेटी ।

नहीं बस कन्या का, दान है बेटी ।
दो परिवारों का तो, मिलान है बेटी ।

असीम आनंद का, स्पर्श है बेटी ।
पिता का तो हृदय, हर्ष है बेटी ।

भावनाओं की मूल, जान में बेटी ।
कुल की मर्यादा, और मान में बेटी ।

सागर लहर इक, तूफान में बेटी ।
जन्म जो पावे, वो महान है बेटी ।

इतिहास कला, और विज्ञान है बेटी ।
इस सृष्टि का अमर, विधान है बेटी ।

मातृशक्ति का दिव्य, भान है बेटी ।
मातृत्व की ‘अजस्र’, पहचान है बेटी ।

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