कौन राग आलापू भगवन
जिस से तुम आओ।
सूनी पड़ी इस नगरी में
रंग तुम भर जाओ।
प्रभु जी आ जाओ
रंग तुम भर जाओ।
कौन राग आलापू भगवन
जिस से तुम आओ।।
बहुतों को तुमने उभारा
अपने तरीके से।
कोई समझ नहीं पाता
तेरे काम को।
लीला तेरी अपरंपार है
कब कहाँ प्रकट हो जाओ।
देकर दर्शन तुम सबको
कल्याण सभी का कर दो।।
प्रभु जी आ जाओ
रंग तुम भर जाओ।।
भक्तो में बनी रहे आस्था
और बना रहे विश्वास।
इसलिए मैं देता रहता
अपने होने का प्रमाण।
कोई भी भूखा और दुखी
न जाए मेरी चौखट से।
सबको सुख शांति मिले
ऐसा देता हूँ सबको आशीष।।
प्रभु पर करो भरोसा
हरेंगे दुख वो तेरे।।
कौन राग आलापू भगवन
जिस से तुम आओ।
जिस से तुम आओ, तुम आओ।।