न जाने कितनों को, अपने ही लूट लिया। साथ चलकर अपनों का, गला इन्होंने घोट दिया। ऊपर से अपने बने रहे, और हमदर्दी दिखाते रहे। मिला जैसे ही मौका तो, खंजर पीठ में भौक दिया।। ये दुनियाँ बहुत जालिम है,… Read More

न जाने कितनों को, अपने ही लूट लिया। साथ चलकर अपनों का, गला इन्होंने घोट दिया। ऊपर से अपने बने रहे, और हमदर्दी दिखाते रहे। मिला जैसे ही मौका तो, खंजर पीठ में भौक दिया।। ये दुनियाँ बहुत जालिम है,… Read More
हारे के सहारे आ जा, तेरा भक्त पुकारे आ जा। हम तो खड़े तेरे द्वार, सुन ले करुणा की पुकार। आओ नाथ पार्श्वनाथ आओ नाथ नेमिनाथ। आओ नाथ पार्श्वनाथ। आओ नाथ नेमिनाथ।। कोई सुनता नहीं, अब में क्या करूँ। दर्द… Read More
नियत में खोट हो तो, मोहब्बत रंग कैसे लाएगी। तमंनये दिल की, दफन दिलमें हो जाएगी। मोहब्बत का कोई, जाति धर्म नहीं होता। ये तो वो आग है जो, पहले आंखों से लगता।। दिलो में प्रेम भाव, जो इंसान रखता… Read More
खेल खेलो ऐसा की किसी को समझ न आये। लूट जाये सब कुछ कोई समझ न पाए। कर्ताधर्ता कोई और है पर दाग और पर लग जाये। और मकरो का रास्ता आगे साफ हो जाये।। देश का परिदृश्य अब बदल… Read More
मोहब्बत का एक संदेश, तुम्हे हम भेज रहे है। लगाकर दिलसे तुम इसे, रख लेना अपने पास। फिर भी याद आये तो, बुला लेना दिलसे तुम। मैं आ जाऊंगा तुम्हारे पास, बुलाना सच्चे मनसे तुम।। बहुत गहरी होती है, मोहब्बत… Read More
ओढ़कर प्यार की चुनरिया, चांदनी रात में निकलती हो। तो देखकर चांद भी थोड़ा, मुस्कराता और शर्माता है। और हाले दिल तुम्हारा, पूछने को पास आता है। हंसकर तुम क्या कह देती हो, की रात ढलते लौट जाता है।। चांदनी… Read More
किसी का क्या जो कदमो पर, जबी ए बंदगी रख दी। हमारी चीज थी हमने, जहाँ जानी वहां रख दी। जो दिल माँगा तो वो बोले, ठहरो याद करने दो। जरा सी चीज थी हमने, न जाने कहाँ रख दी।।… Read More
समय ने चली अपनी चाल, बिखर गये बड़े बड़े विध्दामान। न धर्म काम आया किसी का, न काम आया अब ये विज्ञान। बहुत छेड़छाड़ कर रहे थे, प्राकृतिक सनसाधन और संपदा का। तो स्वंय प्रकृति ने ही, रच दिया माहामारी… Read More
हम सब एक दिन मर जाएंगे। इस संसार से मुक्ति पा जायेंगे। और छोड़ जाएंगे अपनी लेखनी व कर्म। जिस के कारण ही याद किये जाएंगे।। शब्दो के वाण दिल को बहुत चुभते है। दिलसे जुड़ी बातों को ही याद… Read More
कैसा ये दौर आ गया है, जिसमें कुछ नहीं रहा है। और जिंदगी का सफर, अब खत्म हो रहा है। क्योंकि इंसानों में अब, दूरियाँ जो बढ़ रही है। जिससे संगठित समाज, अब बिखर रहा है।। इंसानों की इंसानियत, अब… Read More