bhagwan parshvanath

हारे के सहारे आ जा,
तेरा भक्त पुकारे आ जा।
हम तो खड़े तेरे द्वार,
सुन ले करुणा की पुकार।
आओ नाथ पार्श्वनाथ आओ नाथ नेमिनाथ।
आओ नाथ पार्श्वनाथ। आओ नाथ नेमिनाथ।।

कोई सुनता नहीं,
अब में क्या करूँ।
दर्द दिल की दसा
जा के किस से कहुँ।
तेरे होते मेरी हार,
कैसे करूँ स्वीकार, पार्श्वनाथ।
अब आके धीर बंधा जा।।
हम तो खड़े तेरे द्वार,
सुन ले करुणा की पुकार।
हारे के सहारे आ जा,
तेरा भक्त पुकारे आ जा।।

लाख कोशिश करूँ,
काम बनता नहीं क्या करू।
बीच भवर में नैया,
आ फसी, क्या करूँ।
टूट गई पतवार,
कैसे होगा भव पार, पार्श्वनाथ।
अब आके पार करवा जा।।
हम तो खड़े तेरे द्वार,
सुन ले करुणा की पुकार।
हारे के सहारे आ जा,
तेरा भक्त पुकारे आ जा।।
आओ नाथ पार्श्वनाथ।
आओ नाथ नेमिनाथ।
आओ नाथ पार्श्वनाथ।
आओ नाथ नेमिनाथ।।

जय जिनेन्द्र देव की बंधुओ,
आज मुकुट सप्तमी और भगवान पार्श्वनाथ जी के मोक्ष और भगवान नेमिनाथ जी तप कल्याणक के उपलक्ष्य में संजय जैन (मुम्बई) का उपरोक्त भजन आप सभी के लिए समर्पित है।।

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