poem dil behal hai

किसी का क्या जो कदमो पर,
जबी ए बंदगी रख दी।

हमारी चीज थी हमने,
जहाँ जानी वहां रख दी।
जो दिल माँगा तो वो बोले,
ठहरो याद करने दो।
जरा सी चीज थी हमने,
न जाने कहाँ रख दी।।

तुम्हे अब भूल जाये,
तो अच्छा है।

ये फासले और भी,
बढ़ जाये तो अच्छा है।
तुम्हारी चाहते,
हमको नहीं हासिल।
इसलिए अब गैर ही,
बन जाए तो अच्छा है।।

बाग में टहलते हुए एक दिन,
जब वो बेनकाब हो गए।

जितने भी पेड़ थे बाबुल के,
सब के सब गुलाब हो गये।
तेरी चहात का अंदाजा,
ये दृश्य देखकर,
हम तेरी दीवाने हो गये।
और प्यार के इस बाग में,
अब हम भी खो गए।।

कदर की होती यदि,
हमने तेरी प्यार की।

तो आज,
हम साथ साथ होते।
और न थामना पड़ता,
हाथ किसी और का।
अब तो जो तेरा हाल है,
वही हाल अब मेरा है।
अलग अलग तरह से,
जिंदगी अब जी रहे है।।

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