रंगों की होती है राजनीति आखिर किसने बनाया काले रंग को शोक का प्रतीक और सफेद को शांति का काला मुझे तो बहुत भाता है काली शर्ट काली टी शर्ट और काली पैंट काले लोग मुझे उतने अच्छे नहीं लगते… Read More

रंगों की होती है राजनीति आखिर किसने बनाया काले रंग को शोक का प्रतीक और सफेद को शांति का काला मुझे तो बहुत भाता है काली शर्ट काली टी शर्ट और काली पैंट काले लोग मुझे उतने अच्छे नहीं लगते… Read More
बुधुआ ने सुना कि रेपो रेट में हो गई है कटौती अब कम हो जाएगी ईएमआई गांव के मास्टर साहब से पूछेगा वह उसका मायने उसे ग्रोथ रेट भी जानना है और यह भी जानना है कि एम एस एम… Read More
अपने कमरे की दरारों को तस्वीरों से ढांककर मैंने बनाए तुम्हारे लिए महल चिकनी दीवारें और चमकते फर्श तुम्हारी कारों के लिए पथरीले रास्तों को बदल दिया समतल सड़कों में पार्क, माल, क्या नहीं बनाए तुम्हारे खुश रहने तुम्हे तुम… Read More
मजदूर रिफॉर्म नहीं जानता उसे नहीं पता आत्मनिर्भरता का मतलब फॉर्मल/इन फॉर्मल सेक्टर उसे नहीं पता जीडीपी और ग्रोथ इकानॉमी और सेंसेक्स उसे कुछ नहीं पता बड़ी बड़ी बातों के बीच इस बड़ी त्रासदी के बीच उसे केवल यही पता… Read More
पलायन, महज घर छोड़ कर जाना ही नहीं होता पलायन सपनों का बिखर जाना और हृदय का भर जाना होता है गहरे घावों से सर पर पोटली लिए गोद में बच्चे लिए बुजुर्गों को पीठ पर लादे दहकती गर्म कंक्रीट… Read More
बड़े बेदर्द हैं ये ऊंची ऊंची बिल्डिंगों वाले चौड़ी सड़कों वाले शहर जिसने खून पसीने से बनाया, सजाया उसे ही न दे सके दो वक्त की रोटियां एक अदद छत और उनके हिस्से का मान उनकी आंखो के आंसू सूख… Read More
कठिन होता है मजदूर होना मंडी में खड़े होना रोज़ पचास, सौ कम पर बिकना और दिन भर गुलाम बने रहना सोचा है कभी बिकना रोज़ रोज़ होता होगा कितना त्रासद ? पोटली में रोटी बिना छीली प्याज और चंद… Read More